सोनम वांगचुक की रिहाई पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, पत्नी गीतांजलि ने रखीं 8 अहम मांगें

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Central News Desk: कार्यकर्ता और लद्दाख में पर्यावरण आंदोलन की आवाज़ माने जाने वाले सोनम वांगचुक की रिहाई को लेकर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई होनी है। उनकी पत्नी गीतांजलि वांगचुक ने सुप्रीम कोर्ट में हैबियस कॉर्पस याचिका दायर कर पति की तत्काल रिहाई की मांग की है। उन्होंने याचिका में गिरफ्तारी को गैरकानूनी बताते हुए कहा कि यह एक गांधीवादी और शांतिपूर्ण आंदोलन को दबाने की साजिश है।

‘झूठा नैरेटिव फैलाया जा रहा है’

गीतांजलि का कहना है कि सोनम वांगचुक और उनके सहयोगियों के खिलाफ एक झूठा और खतरनाक नैरेटिव फैलाया जा रहा है ताकि उनके पर्यावरण और जलवायु आंदोलन को पाकिस्तान और चीन से जोड़कर बदनाम किया जा सके। उन्होंने कहा कि यह सब लोकतांत्रिक असहमति को कलंकित करने का प्रयास है।

गीतांजलि ने कहा कि सोनम हमेशा राष्ट्रीय एकता और भारतीय सेना की मजबूती के लिए काम करते रहे हैं। उन्होंने ऊंचाई वाले इलाकों में सैनिकों की मदद के लिए इनोवेटिव शेल्टर टेक्नोलॉजी विकसित की, ताकि सीमावर्ती क्षेत्रों में जवानों को राहत मिल सके।

गिरफ्तारी को बताया असंवैधानिक

पत्नी का आरोप है कि गिरफ्तारी के बाद न तो आदेश की प्रति दी गई और न ही कारण बताए गए, जो संविधान के अनुच्छेद 22(5) का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि वांगचुक को बिना किसी उचित कारण और प्रक्रिया के हिरासत में लिया गया है।

पत्नी की आठ प्रमुख मांगें

याचिका में सोनम वांगचुक की पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट से आठ प्रमुख मांगें रखी हैं:

सुप्रीम कोर्ट हैबियस कॉर्पस जारी कर सोनम वांगचुक को तत्काल अदालत में पेश करे।
पत्नी को उनसे फोन पर और व्यक्तिगत रूप से मिलने की अनुमति दी जाए।
उन्हें आवश्यक दवाएं, कपड़े और भोजन तुरंत उपलब्ध कराया जाए।
गिरफ्तारी आदेश और उससे जुड़े सभी दस्तावेज सुप्रीम कोर्ट में पेश किए जाएं।
गिरफ्तारी को गैरकानूनी और असंवैधानिक घोषित किया जाए।
सोनम वांगचुक की तुरंत रिहाई का आदेश दिया जाए।
उनकी स्वास्थ्य जांच कर रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत की जाए।
हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स, लद्दाख (HIAL) और उससे जुड़े छात्रों के उत्पीड़न को रोका जाए।

आज की सुनवाई पर सबकी निगाहें

सोनम वांगचुक के समर्थकों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं की निगाहें आज की सुप्रीम कोर्ट सुनवाई पर टिकी हैं। यह मामला न सिर्फ एक व्यक्ति की रिहाई का, बल्कि लद्दाख में पर्यावरण आंदोलन और लोकतांत्रिक अधिकारों की आज़ादी से भी जुड़ा माना जा रहा है।

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