बिहार में बदलता समीकरण: सिमटती JDU, उभरती RJD — नीतीश बनाम तेजस्वी की नई जंग शुरू

0
lk0lljug_nitish-kumar-pti_625x300_06_June_22

Bbihar News Desk: बिहार की सियासत एक बार फिर करवट ले रही है। 2025 विधानसभा चुनाव की तारीखें तय हैं — पहले चरण का मतदान 6 नवंबर को और दूसरा 11 नवंबर को होगा। नतीजे आएंगे 14 नवंबर को।
कुल 7.42 करोड़ मतदाताओं में से 14 लाख नए वोटर पहली बार मतदान करेंगे। यानी इस बार मैदान गर्म है, और मुकाबला सीधा एनडीए बनाम महागठबंधन।


🔹 जेडीयू की रफ्तार पर ब्रेक — नीतीश की पकड़ ढीली

कभी बिहार की सत्ता की धुरी रही नीतीश कुमार की जेडीयू अब लगातार सिमटती जा रही है।
2010 में 115 सीटें और 22.6% वोट शेयर के साथ शिखर पर रही जेडीयू, अब 2020 में 43 सीटों और 15.4% वोट पर आ गई है।
यानी 10 साल में करीब 62% की गिरावट।
लोगों के बीच यह चर्चा अब आम है — “नीतीश कुमार अब वही नीतीश नहीं रहे।”
2025 में अगर पार्टी खुद को दोबारा खड़ा नहीं कर पाई, तो वह बिहार की मुख्यधारा की राजनीति से किनारे लग सकती है।


🔹 आरजेडी का उभार — लालू से तेजस्वी तक की कहानी

2010 में 20% वोट शेयर के बावजूद 22 सीटों पर सिमटने वाली आरजेडी, अब बिहार की सबसे बड़ी पार्टी बन चुकी है।
2015 में 80 सीटें, 2020 में 75 सीटें और 23.1% वोट शेयर — यानी जनता ने दोबारा “लालू ब्रांड” को मौका दिया, पर इस बार तेजस्वी यादव की छवि के साथ।
तेजस्वी ने बेरोज़गारी, शिक्षा और युवाओं की उम्मीदों पर फोकस करके खुद को एक “सीरियस विकल्प” के रूप में पेश किया है।
2025 में महागठबंधन की सबसे बड़ी ताकत वही हैं।


🔹 बीजेपी के आंकड़े स्थिर लेकिन असर घटा

भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए 2010 से 2020 तक का सफर मिला-जुला रहा।
2010 में 91 सीटें, 2015 में गिरकर 53, लेकिन 2020 में 74 सीटों के साथ वापसी।
हालांकि वोट शेयर में 4.9% की गिरावट यह दिखाती है कि पार्टी की पकड़ अब उतनी मजबूत नहीं रही।
नीतीश की गिरती लोकप्रियता का बोझ बीजेपी भी झेल रही है।
अगर एनडीए ने इस बार रणनीति नहीं बदली, तो बीजेपी को भी सीटों में नुकसान उठाना पड़ सकता है।

कांग्रेस, एलजेपी और हम — छोटे दल, बड़ा असर

कांग्रेस का वोट शेयर धीरे-धीरे बढ़ा है — 2010 में 8.4%, 2020 में 9.5%।
सीटें भी चार से बढ़कर 19 तक पहुंचीं।
वहीं एलजेपी (LJP) और हम (HAM) जैसे छोटे दल सीमित सीटों के बावजूद कुछ इलाकों में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।
खासकर सीमांचल और मगध में इन दलों का प्रदर्शन गठबंधन की जीत-हार तय कर सकता है।

2025 में क्या तस्वीर बन सकती है?

साफ है — जेडीयू लगातार कमजोर हो रही है, आरजेडी मजबूती से उभर रही है और बीजेपी दबाव में है।
इस बार मुकाबला केवल सीटों का नहीं, नेतृत्व की विश्वसनीयता का भी है।
नीतीश कुमार के सामने अस्तित्व की चुनौती है, तो तेजस्वी यादव के सामने सत्ता में लौटने का मौका।
राजनीतिक विश्लेषक कह रहे हैं —

“अगर 2020 का ग्राफ यही रहा, तो 2025 में बिहार का मुख्यमंत्री महागठबंधन से ही तय होगा।”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *