RSS प्रमुख मोहन भागवत का बड़ा बयान: “हमारे घर का एक कमरा किसी ने हथिया लिया है” — अखंड भारत के संकल्प की झलक
Central News desk: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने रविवार को एक ऐसा बयान दिया जिसने पूरे देश का ध्यान खींच लिया। मध्य प्रदेश के सतना जिले में आयोजित एक जनसभा में भागवत ने कहा, “हमारे घर का एक कमरा, जिसमें मेरा कुर्सी-टेबल रहता था, उसे किसी ने हथिया लिया है। कल मुझे उसे वापस लेकर फिर से अपना डेरा डालना है।”
उनका यह बयान पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में हाल ही में हुई हिंसा के बीच आया है, जिससे यह संकेत मिलता है कि भागवत का इशारा “अखंड भारत” के संकल्प की ओर था।
“हम सब एक हैं, हम सब हिन्दू हैं” — एकता का संदेश
सतना के सिंधी कैंप स्थित गुरुद्वारे के उद्घाटन के बाद स्थानीय बीटीआई मैदान में आयोजित सभा को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने कहा, “चाहे कोई खुद को किसी भी भाषा या संप्रदाय का माने, सच्चाई यह है कि हम सब एक हैं, हम सब हिन्दू हैं।”
उन्होंने समाज में फैल रही विभाजनकारी सोच पर चिंता जताते हुए कहा कि आज हम “टूटे हुए आईने” की तरह खुद को अलग-अलग देख रहे हैं। भागवत ने सवाल किया, “एकता चाहिए, फिर झगड़ा क्यों है?”
अंग्रेजों पर भी साधा निशाना
संघ प्रमुख ने ब्रिटिश शासन पर प्रहार करते हुए कहा कि अंग्रेजों ने भारत की आध्यात्मिक शक्ति को कमजोर किया। उन्होंने कहा, “एक चतुर अंग्रेज यहां आया, उसने हमसे लड़ाई की और राज किया। उसने हमारे हाथ से आध्यात्मिकता का दर्पण छीन लिया और उसकी जगह भौतिकवाद का टूटा हुआ दर्पण थमा दिया। तब से हम खुद को अलग-अलग मानने लगे और छोटी-छोटी बातों पर झगड़ने लगे।”
“जो अपना घर छोड़कर आए, उन्हें वापस डेरा डालना है”
भागवत ने सिंधी समाज की प्रशंसा करते हुए कहा कि बंटवारे के समय उन्होंने पाकिस्तान जाने की बजाय भारत को चुना। उन्होंने कहा, “जो लोग अपना घर, कपड़े और जमीन छोड़कर आए, उन्हें कल वापस जाकर वहीं फिर से डेरा डालना है।”
इस कथन को विशेषज्ञ PoK और विभाजन के समय खोए भूभाग की पुनर्प्राप्ति के संकल्प के रूप में देख रहे हैं।
PoK में हिंसा और बयान का संदर्भ
यह बयान ऐसे समय आया है जब पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में तीव्र हिंसा और विरोध प्रदर्शन हुए हैं। सुरक्षाबलों और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पों में कई लोगों की मौत हो चुकी है। ऐसे में भागवत का यह वक्तव्य रणनीतिक और वैचारिक दोनों दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
“भारत की भाषाएं अनेक, भाव एक ही”
भाषा विवाद पर भी मोहन भागवत ने अपने विचार रखे। उन्होंने कहा, “भारत में भाषाएं भले अनेक हों, लेकिन सबका भाव एक ही है। हर नागरिक को कम से कम तीन भाषाएं आनी चाहिए — स्थानीय भाषा, जिस राज्य में रह रहा है उसकी भाषा, और राष्ट्र की भाषा।”
भागवत ने इसे “संस्कृति की विविधता में एकता” की मिसाल बताया।
Avneesh Mishra is a young and energetic journalist. He keeps a keen eye on sports, politics and foreign affairs. Avneesh has done Post Graduate Diploma in TV Journalism.
