उत्तर प्रदेश में बिजली कर्मचारियों की हड़ताल पर सख्ती: प्रदेशभर में विरोध तेज

Central News desk : उत्तर प्रदेश सरकार ने 29 मई को प्रस्तावित बिजली कर्मचारियों की हड़ताल को लेकर बड़ा कदम उठाते हुए नया आदेश जारी किया है। इस आदेश में यह प्रावधान किया गया है कि बिना जांच के हड़ताल करने वाले बिजली कर्मचारियों को बर्खास्त किया जा सकता है। इस फैसले से प्रदेशभर के बिजली कर्मियों में जबरदस्त आक्रोश फैल गया है। शनिवार को तीन घंटे के प्रतीकात्मक कार्य बहिष्कार के दौरान कर्मचारियों ने पूरे प्रदेश में इस आदेश की प्रतियां जलाईं और इसे तानाशाहीपूर्ण करार दिया।
नियमावली में बदलाव से नाराज कर्मचारी
उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन ने अपनी सेवा नियमावली में बदलाव करते हुए यह प्रावधान शामिल किया है कि बगैर जांच किए किसी भी कर्मचारी को हड़ताल पर जाने पर बर्खास्त किया जा सकता है। इस फैसले को लेकर कर्मचारियों का कहना है कि यह संविधान के अनुच्छेद 311(2) का उल्लंघन है, जो किसी भी सरकारी कर्मचारी को बर्खास्त करने से पहले जांच और सुनवाई का अधिकार देता है।

कार्पोरेशन अध्यक्ष पर लगाए गंभीर आरोप
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने कार्पोरेशन अध्यक्ष आशीष गोयल पर गंभीर आरोप लगाए हैं। समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि गोयल पूर्वांचल और दक्षिणांचल के निजीकरण के लिए इतने उतावले हैं कि उन्होंने संवैधानिक सीमाएं लांघ दीं। कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की है कि वे तत्काल प्रभाव से पावर कार्पोरेशन के अध्यक्ष को बर्खास्त करें और इस आदेश को निरस्त करें।
धमकियों का भी आरोप
कर्मचारी संगठनों का आरोप है कि महाप्रबंधक (आईआर) प्रदीप कुमार और उत्पादन निगम के महाप्रबंधक (एचआर) एके सेठ ने संगठन के पदाधिकारियों को फोन पर धमकियां दी हैं। संघर्ष समिति ने दावा किया है कि जरूरत पड़ने पर इन धमकियों के प्रमाण भी सार्वजनिक किए जाएंगे।
निदेशक वित्त के कार्यकाल पर सवाल
संघर्ष समिति ने पावर कार्पोरेशन के निदेशक (वित्त) निधि कुमार नारंग के कार्यकाल को तीन माह के लिए दोबारा बढ़ाए जाने पर भी सवाल उठाए हैं। समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने आरोप लगाया कि नवचयनित निदेशक (वित्त) पुरुषोत्तम अग्रवाल को जानबूझकर कार्यभार नहीं संभालने दिया गया ताकि पूर्वांचल और दक्षिणांचल के निजीकरण से जुड़े घोटाले को अंजाम दिया जा सके। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि ट्रांजेक्शन एडवाइजर के रूप में चुनी गई कंपनी ग्रांट थार्नटन को अवैध रूप से क्लीन चिट दी गई है।
कर्मचारियों का ऐलान: हर स्तर पर होगा संघर्ष
संघर्ष समिति के प्रमुख पदाधिकारियों संजय सिंह चौहान, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, महेन्द्र राय, पीके दीक्षित, सुहैल आबिद, शशिकांत श्रीवास्तव, चंद्र भूषण उपाध्याय, आरवाई शुक्ला, छोटेलाल दीक्षित और देवेंद्र पांडेय ने साफ शब्दों में कहा कि बिजली कर्मचारी अब किसी भी स्तर पर संघर्ष के लिए तैयार हैं। अगर सरकार ने यह आदेश वापस नहीं लिया तो आगे की रणनीति और आंदोलन की घोषणा जल्द की जाएगी।

Rashika Saxena is a young and energetic journalist. She keeps a keen eye on the issues happening in health, politics and film industry. Rashika has done a post graduate diploma in TV journalism