थाईलैंड-कंबोडिया सीमा विवाद में फिर भड़की हिंसा, गोलीबारी के बाद बिगड़े कूटनीतिक रिश्ते

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Central News Desk: थाईलैंड और कंबोडिया के बीच लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवाद ने गुरुवार को एक बार फिर हिंसक रूप ले लिया। सुबह-सुबह सुरिन प्रांत के विवादित चोंग बोक इलाके में दोनों देशों की सेनाओं के बीच जमकर गोलीबारी हुई। यह वही इलाका है, जहां मई में भी गोलीबारी में एक कंबोडियाई सैनिक की मौत हो गई थी।


गोलीबारी और लैंडमाइन विस्फोट

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, ताजा झड़प उस समय हुई जब कंबोडियाई सैनिकों ने कथित तौर पर थाई सैन्य ठिकाने की ओर बढ़ते हुए फायरिंग की। थाई सेना का दावा: घटना से पहले कंबोडियाई ड्रोन ने इलाके की निगरानी की और छह हथियारबंद सैनिक थाई चौकी की ओर बढ़े। इसके जवाब में थाई सैनिकों ने फील्ड गन से फायरिंग की। किसी के हताहत होने की खबर नहीं: हालांकि किसी के घायल होने की पुष्टि नहीं हुई। बुधवार की घटना: एक दिन पहले हुए लैंडमाइन विस्फोट में पांच थाई सैनिक घायल हो गए थे। इसी घटना के बाद थाईलैंड ने कंबोडिया के राजदूत को निष्कासित कर दिया और अपने दूत को फ्नोम पेन्ह से वापस बुला लिया।


कंबोडिया का जवाब और विवाद

कंबोडिया ने थाईलैंड के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि फायरिंग की शुरुआत थाई सैनिकों ने की। कंबोडिया रक्षा मंत्रालय का बयान: “थाई सेना ने हमारी सीमा में घुसपैठ की और हमारी संप्रभुता का उल्लंघन किया। हमारे सैनिकों ने आत्मरक्षा में जवाबी कार्रवाई की।”


कूटनीतिक तनाव चरम पर

दोनों देशों ने अपने राजनयिकों को वापस बुला लिया है और रिश्तों को “नीचे स्तर” पर ले जाने का ऐलान किया है। थाई राजनीति में असर: प्रधानमंत्री पैटोंगटर्न शिनवात्रा को इस विवाद को लेकर कोर्ट ने अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया है। उनके खिलाफ नैतिक लापरवाही के आरोपों की जांच जारी है। फोन कॉल विवाद: उन्होंने कंबोडिया के पूर्व नेता हुन सेन से तनाव कम करने के लिए बात की थी, लेकिन यह कॉल लीक हो गई, जिससे देश में विरोध बढ़ गया।


1904 से चली आ रही सीमा रेखा का विवाद

थाईलैंड और कंबोडिया का यह विवाद एक सदी से अधिक पुराना है।

इतिहास: 1904-07 में फ्रांस और सियाम (थाईलैंड) के बीच खींची गई सीमा में 1907 के फ्रेंच सर्वेक्षण ने प्रीय विहार मंदिर को कंबोडिया का हिस्सा बताया।

1962 में ICJ का फैसला: इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस ने मंदिर को कंबोडिया का माना, लेकिन आसपास की जमीन पर फैसला साफ नहीं हुआ। यही वजह है कि यह विवाद अब तक सुलग रहा है।

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