भारत भी बनेगा हाइड्रोजन ट्रेन चलाने वाला देश, अब तक पांच देश कर चुके हैं शुरुआत

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Railway News Desk: रेलवे के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ने जा रहा है। जल्द ही भारत भी उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल होने जा रहा है जहां ट्रेनें अब न बिजली से चलेंगी, न डीजल से, बल्कि हाइड्रोजन से दौड़ेंगी। हाइड्रोजन को सबसे स्वच्छ और टिकाऊ ईंधन माना जा रहा है, और इस दिशा में भारत ने ‘हाइड्रोजन फॉर हेरिटेज’ नामक योजना के तहत कदम बढ़ा दिए हैं।


दुनिया में हाइड्रोजन ट्रेनों की शुरुआत कहां से हुई?

जर्मनी:

दुनिया की पहली हाइड्रोजन ट्रेन 2016 में जर्मनी में सामने आई।
2018 में वाणिज्यिक संचालन शुरू हुआ।
कोरैडिया आईलिंट (Coradia iLint) नामक इस ट्रेन ने बिना दोबारा हाइड्रोजन भरे 1175 किमी की दूरी तय कर विश्व रिकॉर्ड बनाया।

ब्रिटेन:

2019 में HydroFLEX नाम से पहली हाइड्रोजन ट्रेन दौड़ी।
यह पहले से मौजूद डीजल/बिजली ट्रेनों में हाइड्रोजन फ्यूल सेल लगाकर बनाई गई।
ब्रिटेन का लक्ष्य है कि 2040 तक सभी डीजल ट्रेनों को हाइड्रोजन में बदला जाए।

स्विट्जरलैंड:

2022 में हाइड्रोजन ट्रेन का मॉडल पेश किया गया।
2024 में Stadler Rail कंपनी ने 2803 किमी बिना दोबारा ईंधन भरे ट्रेन चलाकर गिनीज रिकॉर्ड बनाया।

चीन:

2024 में पहली हाइड्रोजन ट्रेन पेश की गई – सीआआरसी सिनोवा एच2।
इस ट्रेन में उत्पन्न पानी को शुद्ध करके यात्रियों की जरूरतों के लिए भी प्रयोग किया जाता है।

फ्रांस:

2021 में सरकार ने हाइड्रोजन ट्रेन योजना की घोषणा की।
2025 से चार रूटों पर ट्रायल संचालन।
हर ट्रेन 600 किमी की रेंज और 220 यात्रियों की क्षमता के साथ चलेगी।


अब भारत में भी दौड़ेंगी हाइड्रोजन ट्रेनें

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हाल ही में जानकारी दी कि भारत में 35 हाइड्रोजन ट्रेनों के पहले चरण की तैयारी चल रही है। चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्टरी (ICF) में इसके कोच का सफल परीक्षण किया गया है।

एक ट्रेन पर खर्च: ₹80 करोड़

इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च: ₹70 करोड़

पहला ट्रायल: हरियाणा के जींद-सोनीपत (89 किमी रूट) पर

आगामी ट्रायल: कalka से शिमला रेलवे ट्रैक पर

रेलवे ने मौजूदा डीजल से चलने वाली DEMU ट्रेनों को भी हाइड्रोजन फ्यूल सेल से बदलने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस पायलट प्रोजेक्ट पर 111.83 करोड़ रुपये अलग से खर्च किए जा रहे हैं।


हाइड्रोजन ट्रेनें कैसे काम करती हैं?

हाइड्रोजन फ्यूल सेल में हाइड्रोजन और ऑक्सीजन की प्रतिक्रिया होती है।

इससे पैदा होती है बिजली, जो मोटर को ऊर्जा देती है।

बायप्रोडक्ट: सिर्फ पानी (H2O) और गर्मी।

इसलिए इसे शत-प्रतिशत स्वच्छ तकनीक माना जाता है।


हाइड्रोजन बनाम डीजल-बिजली ट्रेन

ईंधन उत्सर्जन प्रदूषण माइलेज लागत टिकाऊपन

डीजल उच्च बहुत ज्यादा सीमित कम कम
बिजली मध्यम (कोयले से बनी) अप्रत्यक्ष अच्छा औसत मध्यम
हाइड्रोजन शून्य (केवल पानी) नहीं अधिक अधिक अत्यधिक


भारत वैश्विक हरित क्रांति की ओर

हाइड्रोजन ट्रेनों की शुरुआत से भारत केवल आधुनिक तकनीक में अग्रणी नहीं बनेगा, बल्कि कार्बन मुक्त भविष्य की दिशा में भी एक ठोस कदम बढ़ाएगा। इस पहल से रेलवे नेटवर्क पर्यावरण के अनुकूल होगा और भारत उन चुनिंदा देशों की श्रेणी में शामिल होगा, जहां ट्रेनें पानी छोड़ती हैं, धुआं नहीं।

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