“स्कूल बंद कर नौकरियां बचा रही सरकार” – अखिलेश यादव का शिक्षा मर्जर नीति पर तीखा हमला

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Central News desk: प्रदेश में बेसिक स्कूलों के विलय को लेकर जहां शिक्षक संगठनों में विरोध है, वहीं अब समाजवादी पार्टी अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी सरकार पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार जानबूझकर स्कूल बंद कर रही है ताकि उन्हें शिक्षकों की नौकरियां न देनी पड़ें। यह नीतिगत साजिश है, जो शिक्षा, रोजगार और युवा विरोधी है।

सपा मुख्यालय पर विभिन्न शिक्षकीय संगठनों से बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए, अखिलेश यादव ने कहा कि स्कूलों का मर्जर भाजपा सरकार की सोची-समझी रणनीति है, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले गरीब और वंचित वर्ग के बच्चों को शिक्षा से दूर रखा जा सके। उन्होंने कहा,

“स्कूल जितने कम होंगे, उतनी ही कम नौकरियां देनी पड़ेंगी। स्कूल बंद होंगे तो ग्रोथ रेट भी गिर जाएगा। सरकार शिक्षा को बर्बाद कर रही है।”

भर्ती रोकने की साजिश: दो लाख पद खाली

अखिलेश यादव ने दावा किया कि प्रदेश में शिक्षकों के दो लाख पद खाली हैं, लेकिन सरकार ने इन पर कोई भर्ती नहीं की। उन्होंने आरोप लगाया कि स्कूल मर्जर के जरिए सरकार पदों की संख्या कम कर रही है, ताकि भविष्य में भर्तियां न करनी पड़ें।

“भाजपा सरकार नहीं चाहती कि बच्चों को पास के गांव में ही शिक्षा मिले। यह गरीबों को अशिक्षित रखने की नीति है,” अखिलेश ने कहा।

शिक्षकों को किया जा रहा अपमानित

सपा अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा राज में शिक्षक लगातार अपमानित और उपेक्षित हो रहे हैं। न तो शिक्षामित्रों की स्थिति स्पष्ट है और न ही डीएलएड, बीटीसी प्रशिक्षित युवाओं को उचित अवसर मिल रहे हैं।

“हर अच्छा समाज चाहता है कि बेटियां पढ़ें, आगे बढ़ें। लेकिन सरकार ऐसा नहीं चाहती,” उन्होंने कहा।

संगठनों ने जताई चिंता

डीएलएड, बीटीसी, माध्यमिक शिक्षा और शिक्षामित्र संगठनों के प्रतिनिधियों ने बैठक में हिस्सा लेते हुए स्कूल विलय के फैसले को शिक्षा विरोधी कदम बताया। संगठनों ने मांग की कि सरकार यह फैसला वापस ले और लंबित भर्तियों को शीघ्र शुरू करे।
सरकार की स्कूल मर्जर नीति को लेकर विपक्ष का विरोध तेज हो गया है। जहां शिक्षक संघ 27 जून को मुख्यमंत्री को ज्ञापन देने की तैयारी में है, वहीं अखिलेश यादव ने इसे “भाजपा की चाल” बताते हुए सीधे गरीबों और युवाओं के भविष्य से जोड़ दिया है। अब देखना होगा कि सरकार इस पर क्या रुख अपनाती है।

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