‘ईरान बना मुस्लिम वर्ल्ड का नया लीडर, अमेरिका घुटनों पर’ – इजरायल-ईरान सीजफायर पर महबूबा मुफ्ती का बड़ा बयान

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जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री ने ईरान की भूमिका की सराहना की, कहा- अमेरिका को भी शांति के लिए कतर का सहारा लेना पड़ा

National News desk: इजरायल और ईरान के बीच हालिया टकराव और फिर हुए सीजफायर पर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) चीफ महबूबा मुफ्ती ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि ईरान ने न सिर्फ अमेरिका और इजरायल का डटकर सामना किया, बल्कि मुस्लिम वर्ल्ड में खुद को एक मजबूत और निर्णायक लीडर के रूप में स्थापित किया है।

‘ईरान की जनता और सेना को सलाम’ – महबूबा

महबूबा मुफ्ती ने कहा,

“मैं ईरान की जनता, वहां की सेना और नेतृत्व को सलाम करती हूं कि उन्होंने अमेरिका जैसी सुपर पावर से भी सीधे तौर पर लोहा लिया और पीछे नहीं हटे।”

उन्होंने इसे “नए वर्ल्ड ऑर्डर” की शुरुआत बताया और कहा कि अब पश्चिमी देशों को यह समझ लेना चाहिए कि उनकी दादागीरी का दौर खत्म हो चुका है।

रूस-चीन का समर्थन अहम, अमेरिका को घुटनों पर आना पड़ा

महबूबा ने यह भी कहा कि इस संघर्ष में रूस और चीन ने खुलकर ईरान का समर्थन किया, जिससे वैश्विक राजनीति का संतुलन अब बदल रहा है।
उन्होंने कहा:

“इस जंग ने अमेरिका को घुटनों पर ला दिया है। डोनाल्ड ट्रंप को कतर से संपर्क करना पड़ा और इजरायल को सीजफायर के लिए मनाने के बाद कहा गया कि अब आप ईरान को राजी करें।”

सीजफायर पर खुशी जताई, इजरायल की आलोचना

महबूबा मुफ्ती ने ईरान और इजरायल के बीच हुए सीजफायर को शांति की दिशा में एक जरूरी कदम बताया और खुशी जताई। साथ ही उन्होंने इजरायल की नीतियों की आलोचना करते हुए उसे एक “आक्रामक ताकत” बताया जो वर्षों से क्षेत्र में अशांति फैला रही है।

ईरान को बताया मुस्लिम दुनिया का नया नेतृत्वकर्ता

महबूबा मुफ्ती का सबसे बड़ा बयान यह रहा कि अब मुस्लिम वर्ल्ड में नेतृत्व की बागडोर किसी अरब देश के पास नहीं, बल्कि ईरान के हाथों में आ चुकी है।

“ईरान ने साबित कर दिया है कि अगर नीयत और हिम्मत हो तो बड़ी से बड़ी ताकत को भी झुकाया जा सकता है। आज वह मुस्लिम दुनिया का लीडर बन चुका है।”

राजनीतिक हलकों में हलचल, बयान पर मचा घमासान

महबूबा मुफ्ती के इस बयान के बाद भारतीय राजनीति में भी हलचल तेज हो गई है। जहां एक वर्ग उनके बयान को साहसिक और साफगोई भरा बता रहा है, वहीं विरोधी इसे भारत की विदेश नीति के खिलाफ खड़ा होने जैसा मान रहे हैं।

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