कर्नाटक का धर्मस्थल रहस्य: क्या सच में 100 लाशें दफन की गईं?

“सब बताने को तैयार हूं… बस सुरक्षा चाहिए”
Central News Desk: 12 जुलाई 2025, बेल्थांगडी तालुका अदालत। एक सफाईकर्मी सामने आता है और कहता है—”मैं 1995 से 2014 तक लगभग 100 शव दफना चुका हूं।”
यह कबूलनामा कोई आम बयान नहीं था। उसने बताया कि कैसे उसे जान से मारने की धमकी दी गई थी, कैसे हर शव के साथ उसकी आत्मा तड़पती रही, और अब अपराधबोध से भरा वह व्यक्ति सिर्फ एक चीज चाहता है—कानूनी सुरक्षा और सच्चाई का उजाला।
केस की शुरुआत: मेडिकल छात्रा की गुमशुदगी से मिली खोपड़ी
यह पूरा मामला तब सामने आया जब एक मेडिकल छात्रा के लापता होने की जांच में पुलिस को एक मानव खोपड़ी मिली। पुलिस को यह मामला सामान्य नहीं लगा। फिर सफाईकर्मी का आत्मसमर्पण और BNSS की धारा 183 के तहत बयान—ये सब मिलकर एक भयावह तस्वीर बनाते हैं।
धर्मस्थल, श्रद्धा और खामोश पहाड़
यह सब हुआ कर्नाटक के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल धर्मस्थल में, जहां हर साल लाखों श्रद्धालु अपनी मनोकामनाओं के साथ आते हैं। लेकिन इसी जगह पर 20 साल तक अगर बलात्कार की शिकार युवतियों, महिलाओं और कुछ पुरुषों के शव दफनाए गए, तो यह सिर्फ धार्मिक आस्था पर नहीं, पूरे सिस्टम पर एक कठोर प्रश्नचिह्न है।
महिला आयोग का सख्त रुख: “ये एक पैटर्न है, इकलौती घटना नहीं”
कर्नाटक राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष नागालक्ष्मी चौधरी ने राज्य सरकार को पत्र लिखते हुए साफ कहा कि यह कोई अलग-थलग घटना नहीं है। यह 20 सालों से महिलाओं की गुमशुदगी और रहस्यमयी मौतों के उस डरावने सिलसिले की एक कड़ी हो सकती है, जिसे अब तक अनदेखा किया गया।
उन्होंने न सिर्फ छात्रा के परिवार की पीड़ा को उठाया, बल्कि सफाईकर्मी के कोर्ट में दिए गए बयान को भी गंभीरता से लेने की मांग की।
SIT का गठन: उम्मीदें और चुनौतियां
राज्य सरकार ने बढ़ते जनदबाव और मीडिया रिपोर्ट्स को देखते हुए 19 जुलाई को SIT का गठन किया। यह टीम चार वरिष्ठ अधिकारियों की है जिसकी अगुवाई करेंगे डीजीपी (आंतरिक सुरक्षा) प्रणव मोहंती। SIT अब नीचे दिए गए बिंदुओं पर काम करेगी:
फॉरेंसिक जांच
DNA मिलान
पुराने गुमशुदगी मामलों की समीक्षा
गवाहों की सुरक्षा
धर्मस्थल के पिछले रिकॉर्ड्स की जांच
इस टीम में क्राइम इन्वेस्टिगेशन, साइबर फोरेंसिक और लीगल एक्सपर्ट्स को भी जोड़ा गया है।
“अगर मेरी बेटी उनमें है, तो DNA जांच कीजिए”
इस घटनाक्रम के बाद एक महिला सामने आईं, जिनकी बेटी 22 साल पहले लापता हो गई थी। उनका कहना है:
“अगर उन शवों में मेरी बेटी भी है, तो कृपया DNA जांच कीजिए।”
यह अब सिर्फ एक केस नहीं, बल्कि उन सैकड़ों परिवारों की टूटी उम्मीदों का अंतिम मोड़ है, जिन्होंने कभी अपनों को खोया और अब तक कोई जवाब नहीं मिला।
सरकार की प्रतिक्रिया: पारदर्शिता या दबाव?
कर्नाटक के गृहमंत्री जी परमेश्वर ने बयान दिया,
“सरकार पारदर्शी जांच चाहती है, लेकिन इस मामले में राजनीति नहीं होनी चाहिए।”
हालांकि सुप्रीम कोर्ट के कई वरिष्ठ वकीलों ने इस केस की न्यायिक निगरानी में जांच की मांग की है, ताकि कोई दबाव या राजनीतिक हस्तक्षेप न हो।
क्या यह राजनीतिक भूचाल बनेगा?
100 शव, एक धार्मिक संस्था, 20 साल की चुप्पी, और एक कबूलनामा—ये सब मिलकर सिर्फ एक क्राइम स्टोरी नहीं, बल्कि संस्थागत चूक, धार्मिक आस्थाओं की आड़ में अपराध और राजनीतिक चुप्पी का संगठित चेहरा बन रहे हैं।
अब सबकी निगाहें SIT पर…
क्या SIT इस रहस्य से पर्दा उठा पाएगी? क्या गुमशुदा लड़कियों के परिवारों को जवाब मिलेगा?
क्या धर्मस्थल की चुप्पी टूटेगी या सब कुछ फिर से दफन हो जाएगा?

Avneesh Mishra is a young and energetic journalist. He keeps a keen eye on sports, politics and foreign affairs. Avneesh has done Post Graduate Diploma in TV Journalism.