बिहार मतदाता सूची पुनरीक्षण मामला: सुप्रीम कोर्ट आज करेगा सुनवाई, कपिल सिब्बल समेत कई वरिष्ठ वकील पेश
निर्वाचन आयोग के फैसले को दी गई सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
Bihar News Desk: बिहार में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) के निर्वाचन आयोग के 24 जून 2025 के आदेश को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई होनी है। यह सुनवाई न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ के सामने होगी, जिसमें वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल सहित कई वकील याचिकाकर्ताओं की ओर से पैरवी करेंगे।
कई सामाजिक संगठन और नेता याचिकाकर्ता
गैर-लाभकारी संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने इस आदेश को असंवैधानिक बताते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। पीयूसीएल (PUCL) और योगेंद्र यादव जैसे सामाजिक कार्यकर्ता भी इस फैसले के विरोध में याचिका दाखिल कर चुके हैं। इनके अनुसार, यह आदेश संविधान की मूल भावना— स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव— के खिलाफ है।
राजनीतिक नेताओं की आपत्तियां – मानसून और विस्थापन का मुद्दा
राजद नेता और राज्यसभा सांसद मनोज झा ने अपनी याचिका में तर्क दिया है कि यह प्रक्रिया “जल्दबाजी में और गलत समय पर” शुरू की गई है। बिहार में मानसून के कारण बाढ़ और विस्थापन की स्थिति में आम लोगों, खासकर प्रवासी मजदूरों, महिलाओं और गरीबों के लिए इस प्रक्रिया में भाग लेना मुश्किल हो गया है।
उनके अनुसार, ऐसे में लाखों लोगों के नाम मतदाता सूची से हटाए जा सकते हैं क्योंकि वे 30 दिनों की निर्धारित अवधि में दस्तावेज नहीं जमा कर पाएंगे। मनोज झा ने इसे संविधान के अनुच्छेद 14, 21, 325 और 326 का सीधा उल्लंघन बताया।
चुनाव आयोग की दलील
निर्वाचन आयोग का कहना है कि इस विशेष पुनरीक्षण का उद्देश्य केवल पात्र नागरिकों को मतदाता सूची में शामिल करना और अयोग्य नामों को हटाना है। आयोग ने यह भी कहा कि बिहार में पिछली बार ऐसा विशेष पुनरीक्षण 2003 में किया गया था, इसलिए यह जरूरी और नियमित प्रक्रिया है।
क्या है याचिकाकर्ताओं की मुख्य आपत्तियाँ?
संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन (अनुच्छेद 14, 21, 325, 326)
गरीब, प्रवासी, महिला और वंचित वर्गों पर असमान बोझ
मानसून और बाढ़ जैसी परिस्थिति में प्रक्रिया का समय अनुचित
वैधानिक आधार की कमी
राजनीतिक जवाबदेही में आम लोगों की भागीदारी को कमजोर करने का खतरा
आज होगी सुनवाई, हो सकते हैं बड़े निर्देश
आज 10 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट इन सभी याचिकाओं पर सुनवाई करेगा और यह तय करेगा कि चुनाव आयोग की प्रक्रिया को स्थगित किया जाए या नहीं। यह मामला न केवल बिहार बल्कि पूरे देश के लिए मिसाल बन सकता है कि मतदाता सूची से संबंधित संवेदनशील प्रक्रियाएं कैसे और किन परिस्थितियों में लागू की जाएं।
Rashika Saxena is a young and energetic journalist. She keeps a keen eye on the issues happening in health, politics and film industry. Rashika has done a post graduate diploma in TV journalism
