गुजरात में आम आदमी पार्टी की वापसी: क्या गोपाल इटालिया बनेंगे ‘दूसरे’ हार्दिक पटेल?

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विसावदर सीट पर जीत से आम आदमी पार्टी को सौराष्ट्र में नई ऊर्जा

Central News Desk: गुजरात की विसावदर विधानसभा सीट पर उपचुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) की जीत न सिर्फ एक राजनीतिक सफलता है, बल्कि यह राज्य की राजनीति में एक नए मोड़ का संकेत भी देती है। गोपाल इटालिया की जीत को पाटीदार वोट बैंक के मूड से जोड़कर देखा जा रहा है, और यही वजह है कि इस नतीजे ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है।

‘आप’ के लिए जीत से ज्यादा संकेत है यह उपचुनाव

विसावदर सीट पर उपचुनाव इसलिए हुआ क्योंकि 2022 में इस सीट से ‘आप’ के विधायक भूपेंद्र भायानी ने पार्टी और विधायक पद दोनों से इस्तीफा दे दिया था और भाजपा में शामिल हो गए थे। अब उसी सीट पर ‘आप’ ने गोपाल इटालिया को उतारा और जीत दर्ज की, जिसने न केवल भाजपा के रणनीतिक मोर्चे पर चोट पहुंचाई, बल्कि दल-बदल के खिलाफ एक मजबूत संदेश भी दिया।

गोपाल इटालिया: क्या हार्दिक पटेल के बाद नया पाटीदार चेहरा?

पाटीदार समुदाय से आने वाले गोपाल इटालिया पहले से किसान मुद्दों और सामाजिक आंदोलनों में मुखर रहे हैं। उन्होंने पुलिस की नौकरी छोड़कर राजनीति में कदम रखा था और ‘आप’ की गुजरात इकाई के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। अब अरविंद केजरीवाल उन्हें हार्दिक पटेल की तर्ज पर गुजरात में पाटीदार समुदाय का बड़ा नेता बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।

पाटीदार वोट बैंक में ‘आप’ की पैठ बढ़ी?

गुजरात की राजनीति में पाटीदार समुदाय की अहम भूमिका रही है। विसावदर की जीत बताती है कि सौराष्ट्र क्षेत्र में यह समुदाय अब भाजपा और कांग्रेस से इतर विकल्प तलाश रहा है। गोपाल इटालिया की जमीन से जुड़ी छवि और आक्रामक शैली ने उन्हें इस जीत में मदद दी है।

क्या कांग्रेस होगी गुजरात से साफ?

कांग्रेस ने इस सीट पर नितिन रणपरिया को टिकट दिया था, लेकिन संगठनात्मक कमजोरी और आपसी तालमेल की कमी साफ नजर आई। कांग्रेस ने ‘आप’ से कोई गठबंधन नहीं किया और आप ने बिना चर्चा के प्रत्याशी उतार दिया। नतीजा यह रहा कि कांग्रेस मैदान में कमजोर साबित हुई।

2027 से पहले बदलाव का संकेत?

‘आप’ की यह जीत भविष्य की एक बड़ी राजनीतिक पटकथा का संकेत भी हो सकती है। 2022 में गुजरात में 5 सीटें जीतने वाली ‘आप’ अब धीरे-धीरे सशक्त विपक्ष बनने की दिशा में बढ़ती दिख रही है। विसावदर की जीत से पार्टी का मनोबल बढ़ा है और पाटीदार व किसान वोटरों के बीच पकड़ मजबूत होती दिख रही है।

भाजपा के लिए झटका, लेकिन ताकत अब भी कायम

हालांकि इस हार से भाजपा को झटका जरूर लगा है, लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि गुजरात विधानसभा की 182 सीटों में से भाजपा के पास अभी भी 161 सीटें हैं। फिर भी, जिस तरह से विसावदर में मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल, केंद्रीय मंत्री सी.आर. पाटिल और गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी प्रचार में उतरे, वह इस सीट की राजनीतिक अहमियत को बताता है।

क्या गुजरात में कांग्रेस के बाद अब आप बन रही दूसरी शक्ति?

इस उपचुनाव ने संकेत दिया है कि गुजरात में कांग्रेस की जगह अब ‘आप’ मजबूत विपक्ष बनने की दिशा में है। गोपाल इटालिया की जीत ने न सिर्फ आम आदमी पार्टी को पुनर्जीवित किया है, बल्कि केजरीवाल को भी एक बार फिर राष्ट्रीय राजनीति में संजीवनी दी है।

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