ट्रंप का बड़ा फैसला: 12 देशों के नागरिकों पर अमेरिका यात्रा पर पूर्ण प्रतिबंध, हार्वर्ड में अंतरराष्ट्रीय छात्रों का प्रवेश भी रोका

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World News Desk: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर कड़े आव्रजन नियम लागू करते हुए 12 देशों के नागरिकों के अमेरिका में प्रवेश पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है। बुधवार रात को हस्ताक्षरित इस नए कार्यकारी आदेश से यह स्पष्ट हो गया है कि ट्रंप प्रशासन राष्ट्रीय सुरक्षा और घरेलू हितों को सर्वोपरि मानते हुए विदेशियों पर सख्ती जारी रखेगा।

ट्रंप द्वारा जिन 12 देशों के नागरिकों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है, वे हैं:
अफगानिस्तान, बर्मा (म्यांमार), चाड, कांगो गणराज्य, इक्वेटोरियल गिनी, इरिट्रिया, हैती, ईरान, लीबिया, सोमालिया, सूडान और यमन।
यह प्रतिबंध स्थानीय समयानुसार सोमवार रात 12:01 बजे से प्रभावी होगा।

इसके अलावा सात अन्य देशों — बुरुंडी, क्यूबा, लाओस, सिएरा लियोन, टोगो, तुर्कमेनिस्तान और वेनेजुएला — के नागरिकों पर भी अंशिक यात्रा प्रतिबंध और अधिक सख्त वीजा नियम लागू किए गए हैं। ट्रंप प्रशासन का कहना है कि इन देशों से आने वाले नागरिकों की सुरक्षा जांच में खामियां पाई गई हैं।

हार्वर्ड विश्वविद्यालय में प्रवेश पर भी रोक

ट्रंप सरकार ने न केवल यात्रा पर प्रतिबंध लगाया है, बल्कि अमेरिका में उच्च शिक्षा के क्षेत्र पर भी इसका असर दिखने लगा है। हार्वर्ड विश्वविद्यालय में पढ़ाई शुरू करने की योजना बना रहे नए अंतरराष्ट्रीय छात्रों को वीजा नहीं दिया जाएगा। ट्रंप ने कहा, “हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए यह जरूरी है। प्रतिष्ठित संस्थान अब विदेशी छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए सुरक्षित या उपयुक्त गंतव्य नहीं रहे हैं।”

सुरक्षा कारणों का हवाला

राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि यह निर्णय अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा और हितों की रक्षा के मद्देनजर लिया गया है। उन्होंने कहा, “मैं अमेरिका और इसके नागरिकों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार हूं और इसी जिम्मेदारी के तहत मुझे यह कठोर कदम उठाना पड़ा है।”

2017 की नीति का दोहराव

गौरतलब है कि यह प्रतिबंध ट्रंप की पहली राष्ट्रपति अवधि में वर्ष 2017 में लागू की गई विवादास्पद “मुस्लिम बैन” नीति की याद दिलाता है, जिसमें इराक, सीरिया, ईरान, सूडान, लीबिया, सोमालिया और यमन जैसे देशों के नागरिकों पर अमेरिका आने पर रोक लगाई गई थी।

ट्रंप के इस कदम की अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक बार फिर आलोचना होने की संभावना है, जबकि उनके समर्थक इसे एक निर्भीक और राष्ट्रहितैषी निर्णय मान रहे हैं।

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