भारत के बेटे की अंतरिक्ष उड़ान: शुभांशु शुक्ला ने रचा इतिहास, 7000 KM की रफ्तार से वायुमंडल पार कर बढ़े ISS की ओर

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Central News Desk: भारत की अंतरिक्ष यात्रा में आज एक नया अध्याय जुड़ गया। भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की ओर उड़ान भरकर एक नया इतिहास रच दिया है। वह Axiom Space के ऐतिहासिक Ax-4 मिशन के पायलट हैं और उन्होंने अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट के माध्यम से अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरी।

यह उड़ान भारत के लिए सिर्फ एक तकनीकी उपलब्धि नहीं, बल्कि अंतरिक्ष में उसकी दोबारा वापसी का प्रतीक बन गई है — 1984 में राकेश शर्मा के बाद अब शुभांशु शुक्ला ऐसे दूसरे भारतीय हैं जो अंतरिक्ष में पहुंचे हैं।

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शुभांशु की उड़ान: वैज्ञानिक प्रयोगों से भरा मिशन

Axiom-4 मिशन के तहत शुभांशु शुक्ला अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर 14 दिनों तक वैज्ञानिक प्रयोगों में हिस्सा लेंगे। इस मिशन में उनके साथ अमेरिका, पोलैंड और हंगरी के अंतरिक्ष यात्री भी शामिल हैं। ISS में उनका स्वागत वहां पहले से मौजूद NASA और ESA के वैज्ञानिकों द्वारा किया जाएगा।

क्यों लगते हैं 28 घंटे सिर्फ 450 KM की दूरी तय करने में?

हालांकि पृथ्वी से अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की दूरी लगभग 450 किलोमीटर है, लेकिन वहां तक पहुंचने में यान को 28 घंटे लगते हैं। इसके पीछे की वजह अत्यधिक गणनात्मक सटीकता, गति समायोजन, कक्षा में बदलाव, और अंततः ISS से सुरक्षित डॉकिंग है।

ड्रैगन यान को ISS की गति (28,000 किमी/घंटा) और स्थिति से पूरी तरह मेल खाना होता है। यह प्रक्रिया अपने आप में बेहद जटिल होती है। यही वजह है कि अंतरिक्ष यात्री पूरी यात्रा के दौरान निरंतर निगरानी और नियंत्रण में रहते हैं।

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ड्रैगन यान की रफ्तार और टेक्नोलॉजी

स्पेसएक्स का ड्रैगन अंतरिक्ष यान पहले ही अपने शानदार प्रदर्शन के लिए जाना जाता है। लॉन्च के तुरंत बाद यह करीब 7000 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से वायुमंडल को पार कर गया। मिशन के दो घंटे बाद यह यान 217 किमी की ऊंचाई तक पहुंच चुका था और फिर धीरे-धीरे ISS की कक्षा में समायोजित हो रहा है। इस दौरान डॉकिंग पोर्ट से जुड़ने के लिए यान खुद को स्वचालित तरीके से स्थिर करता है, लेकिन ज़रूरत पड़ने पर पायलट मैन्युअल हस्तक्षेप भी कर सकते हैं।

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लखनऊ से लेकर दिल्ली तक गर्व का माहौल

शुभांशु के अंतरिक्ष जाने की खबर से उनका पैतृक शहर लखनऊ जश्न में डूब गया है। उनके पिता शंभू दयाल शुक्ला ने कहा,

“यह सिर्फ हमारे परिवार के लिए नहीं, पूरे देश के लिए गर्व का क्षण है। आज हर भारतीय की आंखें नम हैं, लेकिन गर्व से भरी हैं।”

उनकी मां आशा शुक्ला मिशन लॉन्चिंग के समय बेहद भावुक हो गईं। लखनऊ में जगह-जगह पोस्टर लगे हुए हैं और स्कूल-कॉलेजों में छात्रों को शुभांशु से प्रेरणा लेने की बात कही जा रही है।

बचपन से ही थे प्रतिभाशाली

उनके पूर्व शिक्षक नागेश्वर शुक्ला ने बताया कि शुभांशु बचपन से ही विज्ञान और गणित में असाधारण रुचि रखते थे।

“उनकी आंखों में कुछ अलग चमक थी। वह अनुशासित, केंद्रित और हर सवाल को गहराई से समझने वाले छात्र थे।”

नेताओं और वैज्ञानिकों ने दी शुभकामनाएं

देश के राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ट्वीट कर शुभांशु को बधाई दी और कहा:

“यह भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक नया मील का पत्थर है। पूरा देश गर्वित है।”

दिल्ली में केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह समेत कई नेता, ऑस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त फिलिप ग्रीन और दक्षिण ऑस्ट्रेलिया की गवर्नर फ्रांसेस एडमसन ने भी मिशन की सफलता पर मिठाई बांटकर शुभकामनाएं दीं।

भारत की री-एंट्री इन ह्यूमन स्पेसफ्लाइट

प्रसिद्ध खगोलभौतिकीविद् सोमक रायचौधरी ने कहा:

“यह सिर्फ अंतरिक्ष यात्रा नहीं, बल्कि भारत की मानव अंतरिक्ष अन्वेषण में दोबारा वापसी है। इससे आने वाले समय में गगनयान जैसे मिशनों की राह और साफ होती है।”

अब कहां है ड्रैगन यान?

भारतीय समय अनुसार दोपहर 2:20 बजे, यान 27,048 किमी प्रति घंटे की गति से पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा था। अनुमान है कि गुरुवार शाम 4:30 बजे (IST) यान सफलतापूर्वक ISS से डॉक करेगा, जिसके बाद क्रू मेंबर ज़ीरो ग्रेविटी में यान से बाहर आएंगे और अपना मिशन शुरू करेंगे।

“तिरंगा मेरे कंधे पर है” – अंतरिक्ष से शुभांशु का पहला संदेश

मिशन लॉन्च के कुछ घंटे बाद शुभांशु ने अंतरिक्ष से पहला संदेश भेजा:

“41 साल बाद हम वापस अंतरिक्ष में पहुंच गए हैं और कमाल की राइड थी। इस वक्त हम 7.5 किलोमीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से पृथ्वी के चारों ओर घूम रहे हैं और मेरे कंधे पर मेरे साथ मेरा तिरंगा है।”

शुभांशु शुक्ला का यह मिशन सिर्फ तकनीकी और वैज्ञानिक दृष्टि से नहीं, बल्कि भावनात्मक और राष्ट्रीय गौरव के दृष्टिकोण से भी ऐतिहासिक है। यह उड़ान आने वाली पीढ़ियों को बताएगी कि भारतीय आसमान में नहीं, अब अंतरिक्ष में भी अपना परचम लहरा सकते हैं।

पूरा देश हुआ एकजुट, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने दी बधाई

शुभांशु की ऐतिहासिक उड़ान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें शुभकामनाएं दीं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि शुभांशु 1.4 अरब भारतीयों की आकांक्षाओं को लेकर अंतरिक्ष की ओर बढ़े हैं।

राष्ट्रपति मुर्मू ने इस मिशन को ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की भावना का प्रतीक बताया और कहा कि यह भारत और अमेरिका के बीच वैज्ञानिक सहयोग का एक और मजबूत कदम है।

भारत की नई अंतरिक्ष पीढ़ी को मिला रोल मॉडल

शुभांशु शुक्ला की यह उड़ान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बन गई है। यह दिखाता है कि भारतीय युवा अब न केवल धरती पर, बल्कि अंतरिक्ष में भी अपनी पहचान बना रहे हैं।
एक समय था जब राकेश शर्मा की तस्वीरें हर बच्चे के कमरे में होती थीं, अब शुभांशु शुक्ला भी उसी सम्मान की कतार में शामिल हो गए हैं।

अंतरिक्ष में भारतीय परचम, ज़मीन पर जश्न का माहौल

लखनऊ की गलियों से लेकर सोशल मीडिया तक, हर जगह सिर्फ एक ही नाम गूंज रहा है — शुभांशु शुक्ला।
उनके पोस्टर शहर की दीवारों पर हैं, और लोगों की आंखों में सपनों की चमक है। यह सिर्फ एक अंतरिक्ष यात्रा नहीं, बल्कि एक पूरे देश का आत्मविश्वास है जो अंतरिक्ष में परचम लहराने निकला है।

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