कर्नाटक में सियासी संग्राम: क्या डीके शिवकुमार को नाराज़ कर सकती है कांग्रेस? सिद्धारमैया को हटाने की अटकलें तेज

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Central News Desk: कर्नाटक कांग्रेस में नेतृत्व को लेकर चल रही खींचतान अब सतह पर आ गई है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के बीच का सत्ता संघर्ष एक बार फिर सुर्खियों में है। हालांकि डीके शिवकुमार ने सार्वजनिक रूप से शांति का संदेश दिया है, लेकिन उनके समर्थक विधायक खुलकर नेतृत्व परिवर्तन की मांग कर रहे हैं।

बदलते समीकरणों ने बढ़ाई हलचल

AICC के महासचिव और कर्नाटक प्रभारी रणदीप सुरजेवाला पिछले दो दिनों से विधायकों से वन-टू-वन बैठक कर रहे हैं। इस दौरान कई विधायकों ने शिवकुमार के पक्ष में राय रखी है। रामनगर से विधायक इकबाल हुसैन ने दावा किया कि 137 में से 100 विधायक डीके शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं। उनका कहना है कि अगर नेतृत्व नहीं बदला गया तो कांग्रेस 2028 में बहुमत नहीं पा सकेगी।

शिवकुमार समर्थकों की खुली मांग

मगदी से विधायक एचसी बालकृष्ण ने भी शिवकुमार के समर्थन में बयान दिया। उन्होंने कहा, “डीके शिवकुमार ने पार्टी को बहुत कुछ दिया है, अब उन्हें मौका मिलना चाहिए।” यह साफ है कि पार्टी के भीतर एक वर्ग नेतृत्व परिवर्तन को लेकर मुखर हो चुका है।

डीके शिवकुमार का संतुलित बयान

इस सबके बीच खुद डीके शिवकुमार ने मामला शांत करने की कोशिश की। उन्होंने कहा,
“नेतृत्व परिवर्तन जैसी कोई बात नहीं है। हमारा पूरा ध्यान 2028 विधानसभा चुनाव पर है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया हैं और हमें उनके नेतृत्व को मजबूत करना है।”

जातीय समीकरणों में उलझी कांग्रेस

सिद्धारमैया कुरुबा समुदाय से आते हैं, जिसकी आबादी लगभग 43.72 लाख है, जबकि डीके शिवकुमार वोक्कालिगा समुदाय से हैं, जिसकी जनसंख्या 61.58 लाख मानी जाती है। कांग्रेस के पास 21 वोक्कालिगा विधायक हैं।

इस जातीय संतुलन को देखते हुए कांग्रेस न तो सिद्धारमैया को नाराज़ कर सकती है और न ही शिवकुमार को नजरअंदाज कर सकती है। JDS और BJP के गठबंधन के बीच वोक्कालिगा वोटों का महत्व और बढ़ गया है।


हाईकमान की रणनीति क्या होगी?

कांग्रेस फिलहाल सत्ता में है और पार्टी नेतृत्व इस अंदरूनी कलह से निपटने के लिए फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है। संभावना जताई जा रही है कि 2028 चुनाव के बाद, अगर पार्टी सत्ता में लौटती है, तभी नेतृत्व परिवर्तन की दिशा में फैसला लिया जाएगा।

कर्नाटक कांग्रेस में चल रही यह रस्साकशी न सिर्फ संगठन को प्रभावित कर सकती है, बल्कि आगामी चुनावी गणित भी बिगाड़ सकती है। कांग्रेस के सामने चुनौती है — दो ताकतवर नेताओं को साथ लेकर चलना और पार्टी को एकजुट बनाए रखना।

आने वाले दिनों में रणदीप सुरजेवाला की रिपोर्ट पर पार्टी हाईकमान बड़ा निर्णय ले सकता है।
लेकिन सवाल यही है — क्या कांग्रेस डीके शिवकुमार को नाराज़ करने का जोखिम उठा सकती है?

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