Israel-Iran Conflict का भारत पर असर: बढ़ती जंग से कच्चे तेल के दाम चढ़े, भारत के लिए बढ़ी महंगाई की चिंता

Central News Desk: इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते युद्ध जैसे हालात का असर अब सिर्फ पश्चिम एशिया तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसका सीधा असर वैश्विक बाजारों पर भी देखने को मिल रहा है। खासतौर पर कच्चे तेल (Crude Oil) की कीमतों में लगातार तेजी भारत जैसे आयात-निर्भर देशों के लिए नई आ र्थिक चुनौती बनकर उभर रही है।
तेल के दाम बढ़े, जेब पर असर तय
जैसे-जैसे संघर्ष तेज होता जा रहा है, अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड 75 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर पहुंच चुका है। वहीं WTI क्रूड भी 74 डॉलर के करीब पहुंच गया है। जेपी मॉर्गन की रिपोर्ट चेतावनी देती है कि अगर टकराव बढ़ा, तो क्रूड की कीमतें 120 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकती हैं, जिससे भारत में महंगाई का स्तर और बढ़ेगा।

क्यों भारत के लिए है ये चिंता की बात?
भारत अपनी कुल कच्चे तेल की जरूरत का लगभग 80% आयात करता है, और इसमें से अधिकांश आयात होर्मुज जलडमरूमध्य के रास्ते होता है — जो इस समय सैन्य तनाव की जद में है। अगर इस जलमार्ग से तेल की सप्लाई बाधित होती है, तो भारत के लिए ऊर्जा संकट और महंगाई का खतरा दोनों बढ़ सकते हैं।
तेल की कीमतों का सीधा असर आम आदमी पर
एक अनुमान के मुताबिक, अगर क्रूड में 1 डॉलर प्रति बैरल की बढ़ोतरी होती है, तो भारत में पेट्रोल-डीजल के दामों में 50 से 60 पैसे प्रति लीटर तक का असर देखने को मिल सकता है। इससे ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट बढ़ेगा और जरूरी सामान से लेकर खाद्य वस्तुओं तक की कीमतों में बढ़ोतरी होना तय है।
सप्लाई चेन और ट्रांसपोर्ट पर असर
तेल की बढ़ी कीमतें सिर्फ वाहन चालकों को ही नहीं, बल्कि शिपिंग और लॉजिस्टिक्स सेक्टर को भी प्रभावित करती हैं। जहाजरानी कंपनियों को लंबा और महंगा मार्ग अपनाना पड़ सकता है, जिससे माल ढुलाई महंगी हो जाएगी। इसका असर सीधे थोक और खुदरा कीमतों पर पड़ेगा।
आगे क्या?
भले ही डिफेंस एक्सपर्ट्स मानते हैं कि ईरान के लिए होर्मुज जलडमरूमध्य को पूरी तरह बंद करना असंभव है, लेकिन इस क्षेत्र में जारी तनाव ने तेल बाज़ार को पहले ही डरा दिया है। आने वाले दिनों में यदि युद्ध और भड़का, तो इसका असर भारत की अर्थव्यवस्था, चालू खाता घाटा और आम लोगों की जेब – तीनों पर पड़ना तय है।
ईरान-इजरायल संघर्ष न केवल पश्चिम एशिया का संकट है, बल्कि यह भारत जैसे तेल आयातक देशों के लिए महंगाई का अलार्म भी है। ऐसे में सरकार को तेल भंडारण, वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत और नीति-स्तरीय तैयारियों पर ध्यान देने की जरूरत है।

Avneesh Mishra is a young and energetic journalist. He keeps a keen eye on sports, politics and foreign affairs. Avneesh has done Post Graduate Diploma in TV Journalism.