25 जून 1975 को देश में लगे आपातकाल के 50 साल पूरे होने पर आज एक बार फिर सत्ता और विपक्ष के बीच तीखी जुबानी जंग देखने को मिली।

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Central News Desk: 25 जून 1975 को देश में लगे आपातकाल के 50 साल पूरे होने पर आज एक बार फिर सत्ता और विपक्ष के बीच तीखी जुबानी जंग देखने को मिली। केंद्र सरकार और बीजेपी ने इस दिन को “संविधान हत्या दिवस” के रूप में मनाया, तो वहीं विपक्ष ने वर्तमान सरकार पर अघोषित आपातकाल का आरोप लगाया। एक ओर भाजपा ने इंदिरा गांधी और कांग्रेस पर लोकतंत्र की हत्या का आरोप लगाया, तो दूसरी ओर शिवसेना (यूबीटी), माकपा और सपा नेताओं ने आज के हालात को 1975 से भी गंभीर बताया।

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अमित शाह का हमला: कांग्रेस का आपातकाल असल में ‘अन्यायकाल’

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज सुबह बयान देते हुए कहा, “25 जून 1975 का आपातकाल कांग्रेस की सत्ता की भूख का परिणाम था, न कि कोई राष्ट्रीय आवश्यकता। उस दिन प्रेस की स्वतंत्रता कुचली गई, न्यायपालिका को पंगु बना दिया गया और लाखों नागरिकों को जेल में डाला गया। लेकिन देशवासियों ने ‘सिंहासन खाली करो’ का शंखनाद किया और तानाशाही को उखाड़ फेंका।”

शाह ने इस मौके पर ‘द इमरजेंसी डायरीज’ नामक पुस्तक का भी विमोचन किया, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उस दौर की भूमिका का उल्लेख है जब वह आरएसएस के युवा प्रचारक थे।

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पीएम मोदी का बयान: “आपातकाल लोकतंत्र की बुनियाद पर प्रहार था”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “1975 में जब देश पर आपातकाल थोपा गया, मैं आरएसएस का एक युवा कार्यकर्ता था। वह दौर लोकतंत्र के लिए एक बड़ी सीख था। आज की पीढ़ी को जानना चाहिए कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए कितने लोगों ने बलिदान दिया।”

जेपी नड्डा ने कांग्रेस पर साधा निशाना

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा, “कांग्रेस की मानसिकता आज भी वैसी ही तानाशाही वाली है जैसी 1975 में थी। आज जो लोग संविधान की बात करते हैं, उन्हीं के पूर्वजों ने संविधान को कुचला था।”

माकपा ने भाजपा पर किया पलटवार: “अब है 11 साल का अघोषित आपातकाल”

सीपीआई (एम) के नेता एम.ए. बेबी ने कहा कि आज की स्थिति भी कम खतरनाक नहीं है। “इंदिरा गांधी के 21 महीनों के आपातकाल की बात होती है, लेकिन आज पीएम मोदी के तहत 11 साल का अघोषित आपातकाल चल रहा है। प्रेस पर दबाव, विरोधियों की गिरफ्तारी और असहमति की आवाज़ों का दमन—यही आज का सच है।”

शिवसेना (यूबीटी) का बयान: “इंदिरा जी लोकतंत्र की चौकीदार थीं”

शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने कहा, “इंदिरा गांधी ने संविधान के भीतर रहते हुए आपातकाल लगाया था। उस समय की तुलना में आज हालात कहीं अधिक खतरनाक हैं, क्योंकि आज अघोषित आपातकाल है। कोई कुछ बोल नहीं सकता, सरकार की आलोचना करने पर मुकदमे हो रहे हैं।”

राजेंद्र चौधरी (सपा): “आज भी अभिव्यक्ति की आजादी नहीं है”

वरिष्ठ सपा नेता राजेंद्र चौधरी ने कहा, “हम उस दौर के गवाह हैं जब प्रेस पर सेंसरशिप थी, नेताओं को जेल में ठूंसा गया था। आज वही हालात दोहराए जा रहे हैं। लोकतंत्र की आत्मा को फिर से कुचला जा रहा है।”

दीप भंडारी का तीखा हमला: “गांधी-वाड्रा परिवार मांगे माफी”

भाजपा प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने कहा कि कांग्रेस आज भी आपातकाल के लिए माफी नहीं मांग रही। “यह वही पार्टी है जिसने 1 लाख से ज्यादा गिरफ्तारियां करवाईं, 30 लाख से ज्यादा नसबंदियां करवाईं। कांग्रेस ने लोकतंत्र को कुचलने का काम किया और आज खुद को लोकतंत्र का रक्षक बताने का ढोंग कर रही है।”

50 साल बाद भी ‘आपातकाल’ बना रहा राजनीतिक बहस का केंद्र

1975 की ‘आपातकाल’ की घटना को लेकर देश की राजनीति आज भी दो ध्रुवों में बंटी हुई दिखती है। भाजपा इसे कांग्रेस की तानाशाही मानसिकता की मिसाल बताकर युवाओं को जागरूक करने का प्रयास कर रही है, जबकि विपक्ष आज के दौर को कहीं ज्यादा खतरनाक और “छिपा हुआ आपातकाल” बता रहा है।

25 जून अब न सिर्फ इतिहास का दिन है, बल्कि लोकतंत्र और सत्ता की समझ का एक जीवंत आईना बन गया है, जिसे हर कोई अपने नजरिए से देखता है।

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