ईरान-इजरायल युद्ध में अमेरिका की एंट्री, परमाणु ठिकानों पर हमले से तनाव चरम पर; भारत ने की शांति की अपील

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Central News Desk : मिडिल ईस्ट में बढ़ते तनाव ने अब खतरनाक मोड़ ले लिया है। ईरान और इजरायल के बीच जारी संघर्ष में अब अमेरिका भी सक्रिय रूप से शामिल हो गया है। बीते रविवार रात अमेरिकी वायुसेना के B-2 बॉम्बर विमानों ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों पर हवाई हमले किए। जवाब में ईरान ने अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए “पूरी ताकत से जवाब” देने की चेतावनी दी है।

ईरानी विदेश मंत्री ने अमेरिका और IAEA पर साधा निशाना

ईरान के विदेश मंत्री सईद अब्बास अराघची ने इन हमलों की कड़ी निंदा की है। उन्होंने इसे अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया और कहा कि ईरान अपने हितों की रक्षा के लिए पीछे नहीं हटेगा। साथ ही उन्होंने IAEA (अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी) की आलोचना करते हुए इसे “युद्ध भड़काने वाला संगठन” करार दिया।

Img. Credit: Hindustan

अमेरिका की सीधी सैन्य कार्रवाई से बिगड़े समीकरण

अब तक परोक्ष समर्थन तक सीमित रही अमेरिकी भूमिका अब सीधी सैन्य कार्रवाई में बदल चुकी है, जिससे पश्चिम एशिया में हालात और विस्फोटक हो गए हैं। ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले इस पूरे संघर्ष को एक नए और खतरनाक स्तर पर ले जा सकते हैं।

भारत ने की शांति की अपील, पीएम मोदी ने की ईरानी राष्ट्रपति से बात

बढ़ते तनाव के बीच भारत ने तनाव कम करने की कूटनीतिक पहल की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ईरान के नए राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियान से फोन पर बातचीत कर दोनों पक्षों से संयम बरतने और बातचीत के जरिए समाधान खोजने की अपील की है। भारत ने साफ किया कि वह क्षेत्रीय शांति और स्थिरता का पक्षधर है।

भारत की चिंता जायज़: तेल आपूर्ति और खाड़ी देशों में बसे भारतीय

भारत की चिंताओं का एक बड़ा कारण यह भी है कि वह खाड़ी देशों से तेल का प्रमुख आयातक है और वहां 1 करोड़ से अधिक भारतीय नागरिक भी काम करते हैं। ऐसे में युद्ध के फैलने से तेल आपूर्ति, कीमतें और भारतीयों की सुरक्षा तीनों पर खतरा मंडरा सकता है।

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