वक्फ कानून को लेकर बढ़ता विवाद: मुस्लिम समुदाय को ‘वोट बैंक’ बनाए रखने की राजनीति?

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मुस्लिम समुदाय को गरीब बनाए रखने की साजिश: रिजिजू

Central News Desk: अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम की आलोचना करने वालों पर तीखा हमला करते हुए कहा कि कुछ राजनीतिक दल मुसलमानों को जानबूझकर गरीब और निर्भर बनाए रखना चाहते हैं, ताकि वे उनके स्थायी वोट बैंक बने रहें। उन्होंने कहा कि जब मुसलमान बेहतर होंगे, शिक्षित होंगे और आगे बढ़ेंगे, तो उन्हें कोई बहला नहीं पाएगा। इसलिए, कुछ दल वक्फ संशोधन का विरोध केवल अपनी राजनीतिक जमीन बचाने के लिए कर रहे हैं।

भारत में वक्फ संपत्तियों की सबसे बड़ी संख्या

रिजिजू ने कहा कि भारत में 9,70,000 से ज्यादा वक्फ संपत्तियां हैं, जो दुनिया में सबसे अधिक हैं। लेकिन इनका लाभ मुस्लिम समुदाय के गरीब, महिलाएं, बच्चे और पिछड़े वर्ग के लोग नहीं उठा पा रहे हैं। उन्होंने कहा, “हमें मुतवल्लियों और वक्फ बोर्डों के माध्यम से इन संपत्तियों का उचित और पारदर्शी प्रबंधन करना है ताकि इसका लाभ सही लोगों तक पहुंचे।”

कानून का मकसद पारदर्शिता, न कि तुष्टिकरण

रिजिजू ने जोर देकर कहा कि मोदी सरकार की नीति “तुष्टिकरण नहीं, न्याय सबके लिए” है। उन्होंने कहा, “हमारी सोच बिल्कुल अलग है। हम वोट बैंक की राजनीति नहीं करते। हमारा मकसद है कि हर वर्ग को उसका हक मिले, खासकर मुस्लिम समुदाय के जरूरतमंद वर्ग को।”

कलेक्टर को मिली नई ज़िम्मेदारी

वक्फ संशोधन कानून के तहत ज़िला कलेक्टरों को विवाद सुलझाने में अहम भूमिका दी गई है। इस पर रिजिजू ने कहा कि कोई भी अधिकारी अंतिम प्राधिकारी नहीं है, कलेक्टर का फैसला अपील योग्य होगा। उन्होंने कहा, “कलेक्टर का काम ही राजस्व और जमीन से जुड़े मामलों का समाधान करना है। अगर उन पर भी भरोसा नहीं तो फिर किस पर?”

सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित

मई 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने इस अधिनियम को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई की थी और तीन मुख्य बिंदुओं पर अंतरिम आदेश सुरक्षित रखा है। केंद्र सरकार ने अपनी ओर से अदालत में जोर देकर कहा है कि वक्फ एक इस्लामी अवधारणा जरूर है, लेकिन यह इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है, इसलिए इसे धर्मनिरपेक्ष आधार पर कानून के तहत रेगुलेट किया जा सकता है।

विपक्ष की आलोचना और AIMIM की आपत्ति

विपक्षी ‘INDIA’ गठबंधन और AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने वक्फ संशोधन अधिनियम को असंवैधानिक बताते हुए इसका विरोध किया है। विपक्ष का कहना है कि यह कानून मुसलमानों के धार्मिक अधिकारों का हनन करता है। वहीं, रिजिजू ने कहा कि ओवैसी को राजनीतिक मजबूरी में विरोध करना पड़ रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ नेताओं ने मुसलमानों को वोट बैंक बना लिया है, और उसी मानसिकता से वे इस कानून का विरोध कर रहे हैं।

संसद का काम कानून बनाना, अदालत की व्याख्या करना

रिजिजू ने स्पष्ट किया कि संसद का काम कानून बनाना है और सुप्रीम कोर्ट उसका संवैधानिक परीक्षण और व्याख्या करता है। उन्होंने कहा, “जो कुछ भी किया गया है, वह संविधान के अनुरूप है और हमें पूरी उम्मीद है कि अदालत भी इसे वैध ठहराएगी।”

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