स्मार्ट मीटर या स्मार्ट धोखा? जोबनेर में बंद घर का आया ₹1.26 लाख का बिजली बिल

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जिनके घर में बल्ब नहीं जला, उनके आए लाखों के बिल – स्मार्ट मीटरों ने बढ़ाई उपभोक्ताओं की टेंशन

Rajasthan News Desk: राजस्थान के जयपुर जिले के जोबनेर क्षेत्र से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने स्मार्ट मीटरों की विश्वसनीयता पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। सराय मोहल्ला निवासी अमीरुद्दीन रंगरेज को उस समय झटका लगा जब छह महीने से बंद पड़े उनके घर का बिजली बिल ₹1,26,296 आया। बिल में 14,422 यूनिट की खपत दिखाई गई है, जबकि घर में न तो कोई लाइट जली और न ही कोई उपकरण चल रहा था।

स्मार्ट मीटर योजना पर उठे सवाल
सरकार द्वारा स्मार्ट मीटरों को बिजली चोरी रोकने, रीयल-टाइम खपत की जानकारी देने और बिलिंग में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से शुरू किया गया था। लेकिन जोबनेर में सामने आया मामला और देशभर से आ रही अत्यधिक बिलिंग की शिकायतें इस योजना की पारदर्शिता पर गंभीर प्रश्न खड़े कर रही हैं।

बिल देख उड़े होश, रीडिंग थी ‘शून्य’
अमीरुद्दीन ने बताया कि वे जयपुर शहर में रहते हैं और जोबनेर का घर पिछले छह महीनों से बंद है। इतने समय से वहां की मीटर रीडिंग शून्य आ रही थी और वे हर महीने ₹153 का न्यूनतम बिल जमा कर रहे थे। हाल ही में उनका पुराना मीटर हटाकर स्मार्ट मीटर लगाया गया और उसके तुरंत बाद लाखों का बिल थमा दिया गया।

तकनीकी फॉल्ट की आशंका, विभाग कर रहा जांच
बिल को लेकर अमीरुद्दीन ने तत्काल बिजली विभाग में शिकायत दर्ज कराई। कनिष्ठ अभियंता हरलाल बूरी ने इसे संभवतः तकनीकी खामी बताया और कहा कि “स्मार्ट मीटर में गड़बड़ी के कारण इस प्रकार की गलती हो सकती है, जांच जारी है और जल्द समाधान किया जाएगा।”

देशभर से सामने आ रहीं ऐसी शिकायतें
यह पहला मामला नहीं है। मध्य प्रदेश, त्रिपुरा, झारखंड समेत कई राज्यों से भी स्मार्ट मीटरों द्वारा गलत रीडिंग और अत्यधिक बिलिंग की शिकायतें सामने आ चुकी हैं। उपभोक्ताओं का आरोप है कि न तो मीटर सही काम कर रहे हैं, न ही उन्हें समय पर सही बिलिंग की जानकारी मिल रही है।

जयपुर डिस्कॉम ने शुरू की गहन जांच
जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (JVVNL) ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए गहन जांच शुरू कर दी है। स्मार्ट मीटरों से उपजे भ्रम और तकनीकी गड़बड़ियों को दूर करने के लिए एक तकनीकी समिति गठित की जा सकती है।


स्मार्ट मीटरों को लेकर जो उम्मीदें थीं, जोबनेर का मामला उन्हें झुठला रहा है। जहां उपभोक्ता तकनीक से राहत की उम्मीद कर रहे थे, वहां अब आर्थिक दबाव और मानसिक तनाव देखने को मिल रहा है। ऐसे में जरूरी है कि बिजली विभाग हर शिकायत पर त्वरित कार्रवाई करे और उपभोक्ताओं के भरोसे को बहाल करे।

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