राष्ट्रपति मुर्मू का पूर्वांचल दौरा बना ऐतिहासिक, गोरखपुर से दी विकास और स्वास्थ्य का मंत्र

0
president2

आयुष विश्वविद्यालय का लोकार्पण, गीताप्रेस की प्रशंसा, बच्चों से आत्मीय संवाद और जनमानस से सीधा जुड़ाव

Central News Desk: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का दो दिवसीय पूर्वांचल दौरा न केवल ऐतिहासिक बन गया, बल्कि गोरखपुर की जनता के दिलों में सजीव स्मृति बनकर बस गया। अपने व्यस्त कार्यक्रम के बीच उन्होंने न केवल औपचारिक कार्यक्रमों में भाग लिया, बल्कि सड़कों पर बच्चों से संवाद कर, चॉकलेट बाँटकर और आमजनों का अभिवादन स्वीकार कर सादगी और संवेदनशीलता की मिसाल पेश की।


आयुष विश्वविद्यालय का लोकार्पण: एक नई चिकित्सा क्रांति की शुरुआत

राष्ट्रपति ने 268 करोड़ रुपये की लागत से 52 एकड़ भूमि पर निर्मित ‘महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय’ का लोकार्पण किया। उन्होंने कहा कि यह संस्थान सिर्फ पूर्वांचल ही नहीं, पूरे देश के लिए चिकित्सा शिक्षा और सेवा में मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने आयुष पद्धतियों—आयुर्वेद, योग और सिद्ध चिकित्सा—की वैश्विक मान्यता पर बल देते हुए कहा कि यह विश्वविद्यालय परंपरा और आधुनिकता का संगम बनेगा।


गीताप्रेस की 100 वर्षों की साधना को सराहा

अपने भाषण में राष्ट्रपति ने गीताप्रेस गोरखपुर की शताब्दी सेवा को विशेष रूप से सराहा। उन्होंने कहा कि इस संस्थान ने भारत के जनमानस को धर्म और संस्कृति से जोड़े रखा है। गीताप्रेस के हिंदी, संस्कृत समेत विभिन्न भाषाओं में प्रकाशित ग्रंथ आज भी लोगों के लिए आध्यात्मिक मार्गदर्शक हैं।


गोरखपुर की तरक्की देख हुईं अभिभूत

राष्ट्रपति ने कहा कि गोरखपुर में इन्फ्रास्ट्रक्चर और औद्योगिक विकास तेज़ी से हो रहा है। गीडा (गोरखपुर इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी) की गतिविधियाँ विस्तार ले रही हैं और यहां के टेराकोटा उत्पाद वैश्विक पहचान बना रहे हैं।


छात्रों से संवाद: “खूब पढ़ो और आगे बढ़ो”

अपने दौरे के दौरान राष्ट्रपति का काफिला मोहद्दीपुर, पैडलेगंज और असुरन चौराहे पर अचानक रुका। राष्ट्रपति मुर्मू बच्चों के बीच उतरीं, उनसे बात की और चॉकलेट बाँटी। उन्होंने बच्चों को आशीर्वाद दिया—“खूब मन लगाकर पढ़ो और देश का नाम रोशन करो।” यह दृश्य न केवल बच्चों के लिए यादगार बना, बल्कि शहर के नागरिकों को भी गहराई से प्रभावित किया।


पूर्वांचल को दी संघर्ष से सफलता तक की प्रेरणा

राष्ट्रपति ने कहा कि स्वास्थ्य, समर्पण और अथक परिश्रम ही राष्ट्र निर्माण की नींव हैं। उन्होंने नाथ योगियों की भस्म परंपरा, योग और चिकित्सा में उनके योगदान की चर्चा करते हुए कहा कि गुरु गोरखनाथ आदि शंकराचार्य के बाद सबसे प्रभावशाली संत हैं।


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दी भावभीनी विदाई

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राष्ट्रपति के स्वागत में कहा कि “राष्ट्रपति मुर्मू संघर्षों से ऊपर उठकर राष्ट्र के सर्वोच्च पद तक पहुंचीं। उनका यह दौरा पूर्वांचल के लिए प्रेरक और ऐतिहासिक रहा।” उन्होंने रामधारी सिंह दिनकर की पंक्तियों का उल्लेख कर राष्ट्रपति को संघर्ष और सेवा की प्रतिमूर्ति बताया।


बारिश बनी यज्ञ की सफलता का संकेत

दौरे के पहले दिन हुई तेज बारिश और उसके बाद की उमस ने लोगों को परेशान किया, लेकिन इसके बावजूद राष्ट्रपति के कार्यक्रमों में भारी जनसैलाब उमड़ा। मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि जैसे वर्ष 2021 में राष्ट्रपति कोविंद के आगमन पर बारिश हुई थी, वैसे ही यह भी यज्ञ की सफलता का संकेत है।


गोरक्षनगरी को स्मृतियों में समेटकर लौटीं महामहिम

29 घंटे के प्रवास में 129 किमी का सड़क मार्ग तय कर महामहिम ने गोरखपुर को अपने हृदय में बसा लिया। राष्ट्रपति मुर्मू का यह दौरा सिर्फ एक शासकीय यात्रा नहीं बल्कि एक जनमन और जनसंस्कार से जुड़ाव की कथा बन गया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *