योगगुरु शिवानंद बाबा का निधन प्रधानमंत्री मोदी ने जताया शोक, बोले- देश की हर पीढ़ी को प्रेरित करता रहेगा उनका जीवन

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योगगुरु शिवानंद बाबा का निधन प्रधानमंत्री मोदी ने जताया शोक, बोले- देश की हर पीढ़ी को प्रेरित करता रहेगा उनका जीवन

PM Modi expressed grief over the demise of Yoga Guru Shivanand Baba, said his life will continue to inspire every generation of the country.

Central News Desk: देश के सबसे वरिष्ठ योगगुरु और पद्मश्री सम्मानित शिवानंद बाबा का शनिवार रात 129 वर्ष की आयु में वाराणसी के बीएचयू अस्पताल में निधन हो गया। बीते तीन दिनों से वे बीएचयू में भर्ती थे और लगातार उपचार चल रहा था। डॉक्टर देवाशीष के अनुसार, शनिवार रात करीब 8:30 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।

योग के प्रति समर्पित थे

शिवानंद बाबा न केवल योग के प्रति समर्पित थे, बल्कि उनका जीवन संयम, साधना और सेवा का प्रतीक माना जाता है। उन्होंने अन्न का त्याग कर केवल फलाहार और साधना पर आधारित जीवन जिया। योग और समाजसेवा में उनके योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें 2022 में पद्मश्री से सम्मानित किया था। उस समय तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें यह सम्मान प्रदान किया था।

बाबा शिवानंद का पार्थिव शरीर शनिवार देर रात दुर्गाकुंड स्थित उनके आश्रम पर लाया गया, जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु अंतिम दर्शन के लिए उमड़े। उनके शिष्यों के अनुसार, उनका अंतिम संस्कार रविवार को हरिश्चंद्र घाट पर किया जाएगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए लिखा:
“योग साधक और काशी निवासी शिवानंद बाबा के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। योग और साधना को समर्पित उनका जीवन देश की हर पीढ़ी को प्रेरित करता रहेगा। योग के जरिए समाज की सेवा के लिए उन्हें पद्मश्री से सम्मानित भी किया गया था। शिवानंद बाबा का शिवलोक प्रयाण हम सब काशीवासियों और उनसे प्रेरणा लेने वाले करोड़ों लोगों के लिए अपूरणीय क्षति है। मैं इस दुःख की घड़ी में उन्हें श्रद्धांजलि देता हूं।”

शिवानंद बाबा की दीर्घायु का रहस्य उनकी सादा जीवनशैली, संयमित खानपान और गहरी योग साधना में छिपा था। शिवानंद बाबा के आधार कार्ड पर जन्मतिथि आठ अगस्त 1896 दर्ज है। वह बताते थे कि कभी-कभी भिक्षा न मिलने पर पूरा परिवार भूखा ही सो जाता था, भूख की वजह से उनके माता-पिता की मौत हो गई थी, जिसके बाद से बाबा आधा पेट भोजन ही करते थे। बचपन से ही झेलीं समस्याएं बचपन से ही बाबा ने समस्याएं झेलीं थीं। 

वे महाकुंभ जैसे धार्मिक आयोजनों में भी सक्रिय रूप से भाग लेते थे और समाज को योग अपनाने की प्रेरणा देते रहते थे। उनके निधन से योग और आध्यात्मिक जगत को एक गहरा धक्का पहुंचा है।

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