मुर्शिदाबाद हिंसा: हिंदुओं को बनाया गया निशाना, तृणमूल नेता पर गंभीर आरोप

हाईकोर्ट की गठित समिति ने रिपोर्ट में किए बड़े खुलासे — विधायक की मौजूदगी में जले घर, पुलिस रही मूकदर्शक
Central News Desk: पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के बेदवना गांव में 11 अप्रैल को हुई सांप्रदायिक हिंसा को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट द्वारा गठित तीन सदस्यीय जांच समिति की रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। रिपोर्ट के अनुसार हिंसा योजनाबद्ध थी और इसमें सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के स्थानीय नेता शामिल थे। विशेष रूप से हिंदू समुदाय को निशाना बनाया गया और पुलिस तथा प्रशासन ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की।

CAA के विरोध के नाम पर भड़की थी हिंसा
रिपोर्ट के अनुसार यह हिंसा नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के विरोध के नाम पर शुरू हुई थी, लेकिन इसकी आड़ में बेदवना गांव में सुनियोजित हमला किया गया। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि हिंसा का मुख्य दौर 11 अप्रैल को दोपहर 2:30 बजे के बाद शुरू हुआ, जब हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ गांव में घुस आई और घरों को जलाना शुरू कर दिया।
स्थानीय पार्षद ने किया नेतृत्व, विधायक ने नहीं की कोई मदद
हिंसा की अगुवाई स्थानीय तृणमूल पार्षद महबूब आलम कर रहे थे। समिति की रिपोर्ट के मुताबिक, भीड़ ने पहले उन घरों की पहचान की जो हिंदू समुदाय के थे और फिर उन्हें जला दिया गया। अमीरुल इस्लाम नामक व्यक्ति ने मौके पर आकर देखा कि किन-किन घरों को अभी नुकसान नहीं हुआ है और उसके बाद उन्हीं घरों में आग लगाई गई। यह सब कुछ तृणमूल विधायक की मौजूदगी में हुआ, लेकिन उन्होंने किसी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं किया और चुपचाप मौके से चले गए।

पानी के कनेक्शन तक काट दिए, ताकि आग न बुझाई जा सके
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि हमलावरों ने गांव में पानी की सप्लाई भी काट दी थी, ताकि आग बुझाई न जा सके। इसके कारण आग तेजी से फैली और 113 घर पूरी तरह जल गए। इनमें से कई घर इतने बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुए कि अब वे बिना मरम्मत के रहने योग्य नहीं हैं। गांव की महिलाएं और बच्चे भय के माहौल में अपने रिश्तेदारों के घरों में शरण लेने को मजबूर हो गए।
मंदिरों, दुकानों और मॉल को भी बनाया गया निशाना
हिंसा के दौरान सिर्फ घर ही नहीं, बल्कि मंदिरों, दुकानों और मॉल को भी नुकसान पहुंचाया गया। किराना, हार्डवेयर, इलेक्ट्रॉनिक्स और कपड़ों की दुकानें तक जला दी गईं। घोषपाड़ा इलाके में अकेले 29 दुकानों को निशाना बनाया गया। यह सब कुछ पुलिस थाने से महज 300 मीटर की दूरी पर हुआ, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।
पुलिस और प्रशासन की भूमिका पर उठे सवाल
पीड़ितों ने कई बार पुलिस को कॉल किया, लेकिन कहीं से कोई मदद नहीं मिली। समिति की रिपोर्ट में पुलिस को मूकदर्शक बताते हुए कहा गया है कि प्रशासन ने जानबूझकर आंखें मूंदी रखीं। हिंसा करने वाले अपने चेहरों को ढक कर आए थे और वे शमशेरगंज, हिजालतला, शिउलितला और डिगरी जैसे आसपास के गांवों से आए थे।

हाईकोर्ट की टिप्पणी: पीड़ितों को मिले पुनर्वास पैकेज
कलकत्ता हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति सौमेन सेन और राजाबसु की खंडपीठ ने समिति की रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि यह राज्य सरकार की विफलता है कि वह अपने नागरिकों की सुरक्षा नहीं कर पाई। अदालत ने हिंसा पीड़ितों के लिए पुनर्वास पैकेज देने और नुकसान का मूल्यांकन विशेषज्ञों की सहायता से करवाने की बात कही है।मानवाधिकार आयोग और कानूनी सेवा प्राधिकरण के सदस्यों ने की जांच
इस जांच समिति में मानवाधिकार आयोग, राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण और अन्य स्वतंत्र सदस्यों को शामिल किया गया था। समिति ने हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा किया, पीड़ितों से बातचीत की और घटना स्थल का मुआयना किया। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह हिंसा पूरी तरह एकतरफा और पूर्व नियोजित थी, जिसका मुख्य उद्देश्य एक विशेष समुदाय को डराना और क्षेत्र से विस्थापित करना था।

Avneesh Mishra is a young and energetic journalist. He keeps a keen eye on sports, politics and foreign affairs. Avneesh has done Post Graduate Diploma in TV Journalism.
Aise hi …lekhte rahe ap…kafi acha lekhte h