मणिपुर फिर जल उठा: सड़कों पर हिंसा, जरूरी चीजों की भारी किल्लत

Digital News Desk: मणिपुर की राजधानी इंफाल और चुराचांदपुर जिले में हालात एक बार फिर बेकाबू हो गए हैं। रविवार रात को इंफाल वेस्ट और इंफाल ईस्ट के कई हिस्सों में प्रदर्शनकारियों ने मशाल जुलूस निकाले। क्वाकेथेल, सिंगजमई और यैरिपोक तुलिहाल जैसे इलाकों में सुरक्षा बलों और प्रदर्शनकारियों के बीच तीखी झड़पें हुईं। हालात इतने बिगड़े कि पुलिस को भीड़ को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस और रबर बुलेट का इस्तेमाल करना पड़ा।

इंफाल ईस्ट के यैरिपोक तुलिहाल इलाके में उप-मंडल अधिकारी कार्यालय में आग लगा दी गई, जिससे सरकारी दस्तावेज जलकर खाक हो गए। वहीं, इंफाल वेस्ट के सेकमई और कोइरेंगई में प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर मिट्टी के ढेर और बांस के बैरिकेड्स लगाकर सुरक्षाबलों की आवाजाही को रोकने की कोशिश की।
जरूरी वस्तुओं की भारी कमी, महंगाई बेकाबू
राज्य में लंबे समय से बंद हाईवे और परिवहन व्यवस्था ठप होने के चलते जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति पूरी तरह बाधित हो गई है। चुराचांदपुर और इंफाल जैसे प्रमुख शहरों में दवाइयों, खाद्य सामग्री और पेट्रोल-डीजल की भारी कमी देखी जा रही है। लगातार बढ़ती महंगाई ने आम लोगों की परेशानी और बढ़ा दी है। स्थानीय दुकानों पर राशन और सब्जियों के दाम दोगुने से भी ज्यादा हो चुके हैं।
महिलाओं ने भी उठाई आवाज़, जल्द सरकार गठन की मांग
राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू है और किसी तरह की निर्वाचित सरकार नहीं है। इसी के विरोध में खुराई क्षेत्र में सैकड़ों महिलाओं ने मशाल जुलूस निकाला और जल्द से जल्द सरकार गठन की मांग की। उनका कहना है कि राजनीतिक अस्थिरता के चलते प्रशासनिक व्यवस्था पूरी तरह चरमरा चुकी है और आम जनता इसकी सबसे बड़ी कीमत चुका रही है।

दंगे की वजह क्या है? जानिए पीछे की पूरी पृष्ठभूमि
मणिपुर में हिंसा की जड़ें पिछले साल मई 2023 में शुरू हुईं जब मेइती और कुकी समुदायों के बीच जातीय तनाव ने विकराल रूप ले लिया। मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति में शामिल होने की मांग को लेकर कुकी समुदाय विरोध में उतर आया। इसके बाद जातीय दंगों का सिलसिला शुरू हुआ, जिसमें सैकड़ों लोगों की जान गई और लाखों विस्थापित हुए।
राज्य में लंबे समय से इंटरनेट बंद है, जगह-जगह कर्फ्यू लगा है और अब राष्ट्रपति शासन भी लागू हो चुका है। लेकिन शांति बहाल होने की बजाय हालात और बिगड़ते जा रहे हैं।
निष्कर्ष में यही सवाल खड़ा होता है – क्या केंद्र सरकार और प्रशासन मणिपुर को एक बार फिर स्थिरता की राह पर ला पाएंगे? या फिर राज्य जातीय तनाव और अस्थिरता की आग में यूं ही जलता रहेगा?

Avneesh Mishra is a young and energetic journalist. He keeps a keen eye on sports, politics and foreign affairs. Avneesh has done Post Graduate Diploma in TV Journalism.