हिंदी थोपने के आरोपों के बीच महाराष्ट्र सरकार का यू-टर्न, थ्री-लैंग्वेज पॉलिसी पर लगाई रोक

0
DevendraF

मराठी अस्मिता के समर्थन में उठी आवाजें बनी सरकार की नीति वापसी की वजह, राज ठाकरे बोले – यह मराठी जनभावना की जीत है

Central News Desk: महाराष्ट्र सरकार द्वारा स्कूलों में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य किए जाने को लेकर उठे तीव्र विरोध के बाद सरकार को आखिरकार थ्री-लैंग्वेज पॉलिसी पर रोक लगानी पड़ी है। विपक्षी दलों और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के विरोध के चलते सरकार ने दोनों संबंधित शासनादेश (GR) रद्द कर दिए हैं।

क्या था आदेश?
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत सरकार ने आदेश दिया था कि मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में कक्षा 1 से 5 तक हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाया जाएगा। हालांकि यह भी कहा गया था कि यदि किसी कक्षा में 20 या उससे अधिक छात्र किसी अन्य भारतीय भाषा को चुनते हैं, तो स्कूल वह विकल्प दे सकता है।

राज ठाकरे का तीखा बयान
मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने इस फैसले को मराठी जनता की जीत बताया। उन्होंने कहा:

“हिंदी थोपने की कोशिश मराठी जनों ने नाकाम कर दी। यह कोई समझदारी नहीं, बल्कि जनता के गुस्से का असर है। सरकार को बताना चाहिए कि हिंदी को थोपने का दबाव कहां से था।”

विपक्ष का आरोप: मराठी अस्मिता को दबाने की साजिश
कांग्रेस, एनसीपी और मनसे सहित कई दलों ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार मराठी भाषिक पहचान को कमजोर कर हिंदी को बढ़ावा दे रही है, जो महाराष्ट्र की सांस्कृतिक विविधता के साथ अन्याय है।

फडणवीस ने की समिति की घोषणा
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने स्पष्ट किया कि नीति पर अब कोई भी कार्यवाही तब तक नहीं होगी, जब तक डॉ. नरेंद्र जाधव की अध्यक्षता में गठित समिति अपनी सिफारिशें नहीं देती। उन्होंने कहा:

“मराठी हमारी प्राथमिकता है, और किसी भी नीति में यह केंद्रबिंदु बना रहेगा।”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *