धरती के संतुलन से खिलवाड़! 7000 बांधों ने बदली पृथ्वी की धुरी, समुद्र स्तर भी गिरा — हार्वर्ड स्टडी का चौंकाने वाला खुलासा

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Central News Desk: हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की एक ताज़ा रिसर्च में दावा किया गया है कि इंसानी दखल—खासतौर पर दुनिया भर में बनाए गए 7000 से अधिक बड़े-बड़े बांध—अब केवल पर्यावरण पर नहीं, बल्कि धरती की भौगोलिक संरचना पर भी असर डाल रहे हैं।

इस अध्ययन का नेतृत्व जियोफिजिसिस्ट नताशा वेलेंसिक ने किया और इसे Geophysical Research Letters में प्रकाशित किया गया है। स्टडी के अनुसार, इन बांधों में जमा किया गया विशाल जल भार इतना अधिक है कि इसने पृथ्वी की रोटेशन एक्सिस (घूर्णन की धुरी) को लगभग एक मीटर तक खिसका दिया है।


क्या है ‘True Polar Wander’?

इस परिवर्तन को ‘True Polar Wander’ कहा जाता है, जिसमें पृथ्वी की ऊपरी सतह (क्रस्ट) चुंबकीय उत्तरी ध्रुव के चारों ओर खिसकती है। यानी जैसे-जैसे पृथ्वी घूमती है, भारी बदलाव या असंतुलन उसकी धुरी को धीमे-धीमे दूसरी दिशा में मोड़ने लगते हैं।


बांध कैसे बन रहे हैं खतरा?

धरती पर जब किसी विशेष स्थान पर बहुत अधिक भार डाला जाता है, जैसे कि भारी जल संग्रह करने वाले बांध, तो वह क्षेत्र और उसका गुरुत्वाकर्षण प्रभाव, धरती की संतुलित घूर्णन में रुकावट डालते हैं।

  • 1835 से 1954 के बीच यूरोप व अमेरिका में बने बांधों ने 20 सेमी तक ध्रुव को रूस की ओर खिसकाया।
  • 1954 से 2011 के बीच एशिया व अफ्रीका के बांधों ने ध्रुव को 57 सेमी पश्चिम की ओर धकेला।

🌊 समुद्र का स्तर भी गिरा है

रिसर्च में एक और बड़ा खुलासा किया गया है कि इन बांधों की वजह से समुद्र के जलस्तर में औसतन 21 मिमी की गिरावट आई है।
यह इसलिए हो रहा है क्योंकि जब पानी को बड़ी झीलों और बांधों में रोक लिया जाता है, तो वह समुद्र में वापस नहीं पहुंचता, जिससे समुद्री जल वितरण असंतुलित हो गया है।

  • यह गिरावट जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कुछ हद तक कम कर रही है,
  • लेकिन इससे भविष्य की जलवायु गणनाएं और समुद्र तटीय शहरों की सुरक्षा योजनाएं प्रभावित हो सकती हैं।

क्या है बड़ा खतरा?

फिलहाल इस बदलाव से तत्काल कोई वैश्विक आपदा नहीं आ रही, लेकिन विशेषज्ञों ने चेताया है कि:

  • भविष्य में यह बदलाव जलवायु संतुलन,
  • समुद्री धाराओं,
  • और चुंबकीय क्षेत्र में अस्थिरता का कारण बन सकता है।

खासकर तटीय इलाकों और समुद्र के जलस्तर से जूझ रहे क्षेत्रों में इसका दीर्घकालिक प्रभाव बहुत गंभीर हो सकता है।

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