चिराग पासवान की बिहार के चुनाव में धमाकेदार एंट्री: क्या है इस बड़े फैसले की इनसाइड स्टोरी?

- बिहार की सियासत में नई हलचल, चिराग पासवान पहली बार लड़ेंगे विधानसभा चुनाव
Politics News Desk: बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले सियासी तापमान तेजी से बढ़ रहा है। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर सभी को चौंका दिया है। पार्टी की बैठक में इस पर औपचारिक मुहर लग चुकी है। लेकिन बड़ा सवाल यह है — आखिर चिराग ने यह फैसला क्यों लिया?
केंद्र से बिहार की राजनीति की ओर शिफ्ट

चिराग पासवान को अब तक केंद्र की राजनीति का चेहरा माना जाता था, लेकिन अब वह बिहार की राजनीति में खुद को स्थापित करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। वह जमीन पर उतरकर खुद को एक जमीनी नेता के रूप में पेश करना चाहते हैं।
‘नीतीश के विकल्प’ की भूमिका में खुद को स्थापित करने की कोशिश
नीतीश कुमार का यह आखिरी चुनाव माना जा रहा है, और NDA को बिहार में लंबे समय से एक युवा चेहरे की तलाश है। चिराग इस मौके को भुनाकर खुद को NDA के भविष्य के नेता के रूप में पेश करना चाहते हैं। उनकी नजर मुख्यमंत्री पद के दावेदार बनने पर भी है।
तेजस्वी यादव को चुनौती देने की रणनीति
तेजस्वी यादव बिहार में पहले से एक मजबूत नेता माने जाते हैं। चिराग की सबसे बड़ी चुनौती है — खुद को तेजस्वी के समकक्ष साबित करना। वह ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ नारे के जरिए युवा और दलित वोटर्स को साधने की कोशिश कर रहे हैं।
लोकसभा चुनाव में मिली सफलता को विधानसभा तक ले जाने की कोशिश

चिराग पासवान की पार्टी ने 2024 के लोकसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया और पांचों सीटें जीतकर 100% स्ट्राइक रेट हासिल किया। अब उनका फोकस पार्टी को बूथ स्तर तक मजबूत करने पर है। वह चाहते हैं कि लोजपा (रामविलास) बिहार में फिर से मजबूत ताकत बनकर उभरे।
चाचा पशुपति पारस को सियासी पटखनी देने की चाल
रामविलास पासवान की विरासत को लेकर चिराग और उनके चाचा पशुपति पारस के बीच लंबे समय से विवाद है। बीजेपी के समर्थन से चिराग को बढ़त मिली है। अब विधानसभा चुनाव में उतरकर वह चाचा को राजनीतिक रूप से अप्रासंगिक करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं।
2030 पर नजर: मुख्यमंत्री पद की दावेदारी का प्लान
चिराग का यह कदम सिर्फ 2025 की चुनावी रणनीति नहीं, बल्कि 2030 में मुख्यमंत्री पद की दावेदारी की तैयारी भी है। वह बिहार की जनता को यह दिखाना चाहते हैं कि वह केवल भाषण देने वाले नेता नहीं, बल्कि मिट्टी से जुड़े हुए जमीनी नेता हैं।
बिहार की राजनीति में बड़ा बदलाव तय
चिराग पासवान के चुनावी मैदान में उतरने से बिहार की राजनीति में बड़ा मोड़ आने की संभावना है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या वह अपने इरादों में कामयाब होते हैं, और क्या सचमुच वह नीतीश और तेजस्वी के सामने एक नया विकल्प बनकर उभरते हैं।