अमरनाथ यात्रा ड्यूटी पर जा रहे 1200 BSF जवानों को मिली जर्जर ट्रेन, हालत देख चढ़ने से किया इनकार

Digital News Desk: त्रिपुरा के उदयपुर रेलवे स्टेशन से अमरनाथ यात्रा की ड्यूटी पर जम्मू रवाना हो रहे BSF के करीब 1200 जवान उस वक्त हैरान रह गए जब उन्हें एक बेहद खस्ताहाल ट्रेन में चढ़ने को कहा गया। ट्रेन के वैगनों की हालत इतनी खराब थी कि जवानों ने उसमें चढ़ने से साफ इनकार कर दिया।

बीएसएफ कंपनी कमांडर द्वारा किए गए निरीक्षण में सामने आया कि ट्रेन महीनों से इस्तेमाल में नहीं थी। कोचों में टूटी हुई सीटें, जंग लगे खिड़की-दरवाजे, गंदे टॉयलेट, बिजली की सुविधा का अभाव और चारों ओर कॉकरोचों का जमावड़ा था। फर्श पर गंदगी फैली थी और कई कोचों में लाइट तक नहीं थीं।
बीएसएफ की आपत्ति पर रद्द करनी पड़ी ट्रेन
BSF अधिकारियों ने तत्काल इस पर कड़ी आपत्ति दर्ज की और जवानों की सुरक्षा को देखते हुए इस ट्रेन को अस्वीकार्य बताया। रेलवे के NFR (नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर) जोन के एक अधिकारी ने बताया कि 6 जून को रवाना होने वाली स्पेशल ट्रेन नंबर 00709 को रद्द करना पड़ा और चार दिन बाद दूसरी ट्रेन उपलब्ध कराई गई।

13 कंपनियों के 1200 जवानों को जाना था जम्मू
गुवाहाटी फ्रंटियर की ऑपरेशन ब्रांच ने रेलवे से इस ट्रेन की मांग की थी। इसमें त्रिपुरा, गुवाहाटी और M&C फ्रंटियर की कुल 13 कंपनियों के जवान सवार होने वाले थे। अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा ड्यूटी में तैनाती के लिए सभी को जम्मू तवी स्टेशन तक पहुंचना था।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ में वीरता दिखा चुके जवानों के साथ लापरवाही
इन जवानों ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान पाकिस्तान की गोलीबारी का मुंहतोड़ जवाब दिया था। गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद इनकी वीरता की सराहना की थी। लेकिन उन्हीं जवानों को जब इस तरह की ट्रेन में भेजा गया, तो सवाल उठने लगे हैं कि क्या हमारी प्रणाली ऐसे समर्पित सुरक्षाकर्मियों के साथ न्याय कर रही है?
BSF जवानों की तैनाती में चार दिन की देरी के बाद नई ट्रेन उपलब्ध कराई गई, लेकिन यह घटना रेलवे प्रशासन की गंभीर लापरवाही को उजागर करती है। ऐसे में जरूरी है कि भविष्य में सुरक्षाकर्मियों की आवश्यकताओं को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए।

Avneesh Mishra is a young and energetic journalist. He keeps a keen eye on sports, politics and foreign affairs. Avneesh has done Post Graduate Diploma in TV Journalism.