PM मोदी का ब्रिक्स समिट में बड़ा संदेश: 21वीं सदी के लिए चाहिए नई वैश्विक व्यवस्था

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Central News Desk: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में आयोजित 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में दुनिया के सामने एक नई, समावेशी और बहु-ध्रुवीय वैश्विक व्यवस्था की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि वैश्विक संस्थाएं अब पुरानी हो चुकी हैं और 21वीं सदी की जटिल चुनौतियों से निपटने में अक्षम हैं।

ब्रिक्स की भूमिका और विस्तार की सराहना

पीएम मोदी ने कहा कि ब्रिक्स का विस्तार इस संगठन की प्रासंगिकता और लचीलापन दिखाता है। मिस्र, इथियोपिया, ईरान और यूएई के जुड़ने के बाद अब इंडोनेशिया के 2025 में सदस्य बनने की तैयारी है। उन्होंने कहा, “ब्रिक्स में बदलाव की क्षमता है, अब यही इच्छाशक्ति हमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, WTO और विकास बैंकों में सुधार के लिए भी दिखानी होगी।”

‘ग्लोबल साउथ’ के पक्ष में खड़े हुए पीएम मोदी

अपने संबोधन में मोदी ने कहा कि ग्लोबल साउथ (विकासशील देश) वर्षों से दोहरे मानदंडों का शिकार रहे हैं — चाहे बात संसाधनों के वितरण की हो, सुरक्षा की या तकनीक की पहुंच की। उन्होंने कहा, “आज की वैश्विक संस्थाएं ऐसे मोबाइल की तरह हैं जिसमें सिम तो है, लेकिन नेटवर्क नहीं।”

‘टाइपराइटर से नहीं चल सकता सॉफ्टवेयर’

PM मोदी ने वैश्विक संस्थाओं की अप्रासंगिकता पर कटाक्ष करते हुए कहा, “एआई के इस युग में, जब तकनीक हर हफ्ते अपडेट होती है, यह अस्वीकार्य है कि कोई संस्था 80 सालों से वैसी की वैसी चली आ रही हो। 21वीं सदी के सॉफ्टवेयर को 20वीं सदी के टाइपराइटर से नहीं चलाया जा सकता।”

IMF में सुधार का प्रस्ताव, ब्रिक्स वित्त मंत्रियों की एकजुटता

ब्रिक्स के वित्त मंत्रियों ने पहली बार IMF में व्यापक सुधारों पर सहमति जताई है। कोटा प्रणाली में बदलाव, विकासशील देशों की भूमिका बढ़ाना और यूरोपीय नियंत्रण की परंपरा को खत्म करना इस प्रस्ताव के मुख्य बिंदु हैं। दिसंबर में होने वाली IMF समीक्षा बैठक में यह साझा प्रस्ताव प्रस्तुत किया जाएगा।

आतंकवाद, साइबर खतरे और संस्थागत कमजोरी पर चिंता

प्रधानमंत्री मोदी ने आतंकवाद को मानवता की सबसे गंभीर चुनौती बताया और कहा कि मौजूदा वैश्विक संस्थाएं महामारी, युद्ध, आर्थिक संकट और साइबरस्पेस जैसी चुनौतियों से निपटने में असफल रही हैं।

ब्रिक्स के मंच से दिया वैश्विक सुधार का आह्वान

मोदी ने कहा कि वैश्विक संस्थानों में केवल प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि वास्तविक और प्रभावशाली सुधार होने चाहिए। प्रतिनिधित्व, नेतृत्व और नीति निर्धारण के स्तर पर बदलाव लाना अनिवार्य है ताकि वैश्विक दक्षिण की आवाज सुनी जा सके।

ब्रिक्स फैमिली फोटो और बहुपक्षीय संबंध

शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी ने दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा समेत अन्य नेताओं से मुलाकात की और पारिवारिक फोटो सेशन में हिस्सा लिया। उन्होंने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट किया – “ब्रिक्स में साझेदारी और विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं, यह समूह वैश्विक भविष्य को आकार देने की क्षमता रखता है।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन को वैश्विक संस्थाओं में परिवर्तन के लिए एक निर्णायक मंच बताया। उनका संदेश स्पष्ट था — वैश्विक व्यवस्था में अब विकासशील देशों की भागीदारी केवल संख्या में नहीं, बल्कि निर्णय में भी दिखनी चाहिए।

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