उन्नाव: सीआरएस पोर्टल से जारी हजारों प्रमाणपत्र जांच के घेरे में, दो पंचायत सचिवों को नोटिस

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Unnao news Desk: नवाबगंज और हसनगंज क्षेत्र में संदिग्ध तरीके से छह हजार से ज्यादा जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र जारी होने पर मचा हड़कंप, उन्नाव जिले में नागरिक पंजीकरण प्रणाली (CRS पोर्टल) से संदिग्ध तरीके से जारी किए गए हजारों जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्रों की जांच शुरू हो गई है। नवाबगंज विकासखंड की मकूर पंचायत और हसनगंज की निमादपुर पंचायत में पिछले छह महीनों में कुल 6213 प्रमाणपत्र जारी किए गए हैं, जिससे प्रशासनिक महकमे में हड़कंप मच गया है।


सीआरएस पोर्टल से रिकॉर्ड संख्या में जारी हुए प्रमाणपत्र

आंकड़ों के अनुसार, केवल दो ग्राम पंचायतों से इतनी बड़ी संख्या में प्रमाणपत्रों का ऑनलाइन निर्गमन असामान्य प्रतीत हुआ। सामान्यतः ग्राम पंचायतों में सीमित संख्या में जन्म व मृत्यु प्रमाणपत्र जारी होते हैं, लेकिन यहां पिछले छह महीनों में 6213 प्रमाणपत्रों का रिकॉर्ड दर्ज किया गया है, जिससे इन रिकॉर्डों की सत्यता पर सवाल उठने लगे हैं।


केंद्र ने मांगी रिपोर्ट, डीएम ने दिए जांच के आदेश

इस मामले को लेकर भारत सरकार के जनगणना कार्य निदेशालय ने संज्ञान लेते हुए जिला प्रशासन को पत्र भेजा और प्रमाणपत्र निर्गमन की सत्यता की जांच कराने के निर्देश दिए। जिला अधिकारी (डीएम) के निर्देश पर जिला पंचायत राज अधिकारी (डीपीआरओ) ने दोनों पंचायत सचिवों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।


क्या है संदेह?— लाभार्थी योजनाओं में फर्जीवाड़े की आशंका

प्राथमिक जांच में संदेह जताया जा रहा है कि इन प्रमाणपत्रों का उपयोग विभिन्न सरकारी योजनाओं, बीमा क्लेम, आयुष्मान कार्ड, पेंशन, छात्रवृत्ति या अन्य लाभों के लिए फर्जी तरीके से किया जा सकता है। यदि यह प्रमाणपत्र फर्जी तरीके से बनवाए गए हैं, तो यह एक बड़ा घोटाला हो सकता है जिसमें सरकारी राजस्व और योजनाओं का दुरुपयोग किया गया हो।


क्या बोले अधिकारी?

डीपीआरओ ने बताया कि:

“दोनों पंचायतों के सचिवों को नोटिस भेजा गया है और उनसे सात दिनों के भीतर स्पष्ट जवाब मांगा गया है। यदि संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो विभागीय जांच के बाद सख्त कार्रवाई की जाएगी।”


आगे की कार्रवाई क्या होगी?

तकनीकी जांच टीम CRS पोर्टल पर लॉग डेटा, यूजर आईडी और उपयोग किए गए दस्तावेज़ों की बारीकी से जांच करेगी। सभी प्रमाणपत्रों की वेरिफिकेशन प्रक्रिया शुरू की जा सकती है। यदि फर्जी प्रमाणपत्र पाए गए तो आपराधिक मुकदमा दर्ज किया जाएगा और संबंधित कर्मियों को निलंबन या बर्खास्तगी तक की कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।

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