सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश: छात्रों की आत्महत्याओं पर 15 दिशानिर्देश जारी, सीबीआई जांच के आदेश

Delhi News Desk: देशभर में छात्रों की आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने गहरी चिंता जताई है। कोर्ट ने कहा कि यह व्यवस्थागत विफलता को दर्शाता है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने शुक्रवार को शैक्षणिक संस्थानों के लिए 15 बाध्यकारी दिशानिर्देश जारी किए, जिनका पालन तब तक अनिवार्य होगा जब तक कि सरकार इस विषय पर कोई ठोस कानून या नियामक ढांचा तैयार नहीं कर लेती।

विशाखापट्टनम नीट अभ्यर्थी मामला
यह फैसला आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में एक 17 वर्षीय नीट उम्मीदवार की संदिग्ध मौत के मामले में आया। छात्रावास की छत से गिरने के बाद छात्रा की मौत हुई थी। पीठ ने इस मामले की सीबीआई जांच का आदेश दिया और कहा कि आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा याचिका खारिज करने का आदेश गलत था।
छात्र आत्महत्याओं के चौंकाने वाले आंकड़े
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के मुताबिक:
2022 में 1,70,924 आत्महत्याएं दर्ज, इनमें से 7.6% यानी 13,044 छात्र थे। 2,248 छात्र केवल परीक्षा में असफल होने के कारण आत्महत्या का शिकार हुए। 2001 में छात्रों की आत्महत्याएं 5,425 थीं, जो 2022 में बढ़कर 13,044 हो गईं। पीठ ने कहा कि यह आंकड़े मानसिक स्वास्थ्य संकट को उजागर करते हैं और इसे अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार से जोड़ा।
कोचिंग हब्स पर विशेष फोकस
सुप्रीम कोर्ट ने विशेष रूप से कोटा, जयपुर, सीकर, विशाखापट्टनम, हैदराबाद और दिल्ली जैसे शहरों का जिक्र किया, जहां बड़ी संख्या में छात्र कोचिंग के लिए आते हैं और मानसिक दबाव का सामना करते हैं।
सरकार को 90 दिनों में रिपोर्ट
केंद्र और राज्य सरकारों को आदेश दिया गया है कि वे 90 दिनों के भीतर पालन रिपोर्ट पेश करें। कोर्ट ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य और आत्महत्या रोकने के लिए प्रशासन को त्वरित कार्रवाई करनी होगी।
15 दिशानिर्देशों का पालन अनिवार्य
पीठ ने कहा कि सभी स्कूल, कॉलेज, कोचिंग संस्थान और प्रशिक्षण केंद्र इन दिशानिर्देशों का पालन करें। यह अस्थायी प्रावधान है, जब तक कोई ठोस कानून नहीं बनता।

Avneesh Mishra is a young and energetic journalist. He keeps a keen eye on sports, politics and foreign affairs. Avneesh has done Post Graduate Diploma in TV Journalism.