RCB की जीत का जश्न बना मातम: बंगलूरू में भगदड़ से 11 की मौत, 33 घायल | क्या थी प्रशासन की चूक?

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Sport News Desk: आईपीएल 2025 में अपनी पहली जीत का जश्न मना रही रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरू (RCB) की खुशियां मंगलवार को मातम में बदल गईं। एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर आयोजित विजय समारोह के दौरान भीड़ के बेकाबू हो जाने से भगदड़ मच गई, जिसमें 11 लोगों की जान चली गई और 33 से अधिक घायल हो गए। घायलों में कई की हालत गंभीर बताई जा रही है।


कैसे हुआ हादसा?

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, जब स्टेडियम में RCB टीम के सम्मान समारोह की शुरुआत होने वाली थी, तभी हजारों की संख्या में लोग एक साथ प्रवेश की कोशिश करने लगे। आयोजकों और पुलिस के पास भीड़ को नियंत्रित करने की कोई ठोस व्यवस्था नहीं थी, जिससे हालात बेकाबू हो गए। कई लोग एक-दूसरे पर गिर पड़े, कई बेहोश हो गए। मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों को हल्का बल प्रयोग भी करना पड़ा, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी।


भीड़ को लेकर कोई पूर्व योजना नहीं?

विशेष कार्यक्रम का आयोजन कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ (KSCA) द्वारा किया गया था, लेकिन अनुमानित भीड़ से कहीं अधिक—करीब 2-3 लाख लोग—स्टेडियम और आसपास के क्षेत्रों में उमड़ पड़े। पुलिस ने पहले ही ट्रैफिक एडवाइजरी जारी की थी कि केवल पास या टिकट धारकों को ही एंट्री मिलेगी, लेकिन मैदान के बाहर व्यवस्थाएं नाकाफी रहीं।


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राजनीतिक बयानबाज़ी तेज़, सरकार पर उठे सवाल

घटना के तुरंत बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राहुल गांधी, और कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया सहित कई नेताओं ने शोक संवेदनाएं व्यक्त कीं। वहीं विपक्ष ने राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए इसे “राज्य प्रायोजित हत्या” करार दिया।

भाजपा प्रदेशाध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र ने कहा कि सरकार ने बिना योजना के विजय रैली आयोजित की, जिसकी वजह से यह त्रासदी घटी।
केंद्रीय मंत्री एचडी कुमारस्वामी और भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने भी प्रशासनिक विफलता को “घातक लापरवाही” बताया और इस्तीफे की मांग की।
विधान परिषद सदस्य बीके हरिप्रसाद ने सरकार से घायलों को तत्काल उपचार दिलवाने और मृतकों के परिजनों को सहायता राशि देने की अपील की।


सरकार की सफाई और ऐलान

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अस्पतालों का दौरा कर घायलों से मुलाकात की और मृतकों के परिजनों के लिए 10 लाख रुपये की सहायता राशि का ऐलान किया। उन्होंने कहा, “यह भीड़ हमारी उम्मीद से कई गुना ज्यादा थी, कोई भी ऐसी भारी संख्या की कल्पना नहीं कर सका था।”

उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा, “यह युवा और उत्साही भीड़ थी, ऐसे में बल प्रयोग उचित नहीं होता। हमने 10 मिनट में कार्यक्रम समाप्त कर दिया और हालात को सामान्य करने की कोशिश की।”


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जश्न में जानलेवा लापरवाही: क्या सीखने का समय है?

यह त्रासदी एक बार फिर साबित करती है कि जश्न की भीड़ अगर नियंत्रित नहीं की जाए, तो वह जानलेवा साबित हो सकती है। आयोजकों और प्रशासन की संयुक्त जिम्मेदारी बनती है कि इस तरह के बड़े आयोजनों के लिए विस्तृत सुरक्षा योजना बनाई जाए। अब वक्त आ गया है कि सिर्फ संवेदनाएं नहीं, बल्कि जवाबदेही और ठोस सुधार की दिशा में भी कदम उठाए जाएं।

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