India-US Trade Tension: कल से लागू होगा अमेरिका का 25% टैरिफ, ट्रंप के फैसले से भारतीय निर्यातकों को लगेगा तगड़ा झटका

Central News Desk: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नए व्यापारिक फैसले के तहत 1 अगस्त से भारत से अमेरिका भेजे जाने वाले अधिकतर उत्पादों पर 25% टैरिफ लागू होगा। भारत-अमेरिका के बीच करीब 130 अरब डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार में से 87 अरब डॉलर का हिस्सा भारतीय निर्यात का है। ऐसे में इस टैरिफ का सीधा असर भारतीय उद्योगों पर पड़ेगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिकी बाजार में अब भारतीय उत्पाद अन्य देशों की तुलना में महंगे हो जाएंगे, जिससे निर्यात घटने, बाजार हिस्सेदारी कम होने और भारतीय जीडीपी पर दबाव बढ़ने की आशंका है।

किन सेक्टर्स को सबसे ज्यादा होगा नुकसान?
- इलेक्ट्रॉनिक्स
भारत के इलेक्ट्रॉनिक निर्यात में अमेरिका सबसे बड़ा बाजार है। स्मार्टफोन, लैपटॉप, टैबलेट जैसे उत्पादों पर यह टैरिफ लागू होने से प्रतिस्पर्धा में गिरावट आ सकती है। हालांकि इस सेक्टर को दो हफ्ते की राहत दी गई है क्योंकि अमेरिका को अब भी इस पर सेक्शन 232 की प्रक्रिया पूरी करनी है।
- टेक्सटाइल (कपड़ा उद्योग)
भारत का 28% टेक्सटाइल निर्यात अकेले अमेरिका को होता है। वियतनाम, बांग्लादेश जैसे देशों से प्रतिस्पर्धा पहले से कड़ी है, ऐसे में नया टैरिफ भारत को नुकसान की स्थिति में डाल सकता है।
- फार्मा
भारत का 10.5 अरब डॉलर का फार्मा निर्यात अमेरिका को होता है, जो कुल का 40% है। फिलहाल इस सेक्टर को टैरिफ से राहत दी गई है, लेकिन भविष्य में यह टैरिफ दायरे में आ सकता है।
- रत्न व आभूषण
अमेरिकी टैरिफ में बदलाव के चलते अब रत्न और आभूषण महंगे होंगे। इससे निर्यात में गिरावट और लाखों कारीगरों की नौकरियों पर संकट आ सकता है।
- कृषि उत्पाद
भारत अमेरिका को 5.6 अरब डॉलर से ज्यादा के कृषि उत्पाद भेजता है। मरीन उत्पादों पर सबसे अधिक असर की आशंका है। चावल, मसाले और हर्बल उत्पाद भी महंगे होंगे।
ट्रंप की चेतावनी: रूस से व्यापार पर लगेगा ‘अतिरिक्त जुर्माना’
डोनाल्ड ट्रंप ने रूस से हथियार और ऊर्जा आयात करने पर भारत को अतिरिक्त पेनाल्टी लगाने की धमकी भी दी है। इससे भारत के दो बड़े रणनीतिक क्षेत्रों पर असर पड़ सकता है:
● ऊर्जा क्षेत्र:
भारत अपनी 35% तेल की जरूरत रूस से पूरी करता है। सस्ता रूसी तेल भारत की अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद रहा है। पेनाल्टी लगने पर यह आयात महंगा हो सकता है।
● रक्षा क्षेत्र:
भारत के 60 अरब डॉलर के हथियार आयात में 65% रूस से आते हैं। थलसेना, वायुसेना और नौसेना—तीनों ही रूसी हथियारों पर निर्भर हैं। यदि अतिरिक्त टैक्स या प्रतिबंध लगाए जाते हैं, तो रक्षा सौदों पर असर पड़ेगा।
क्या आगे होगा?
विश्लेषकों के मुताबिक, यदि भारत और अमेरिका के बीच राजनयिक समाधान नहीं निकला, तो आने वाले महीनों में निर्यात गिरने, रोजगार घटने, और वित्तीय घाटे में बढ़ोतरी जैसी समस्याएं देखने को मिल सकती हैं।
वाणिज्य मंत्रालय की ओर से यह संकेत भी मिला है कि भारत वैकल्पिक बाजार तलाशने और टैरिफ की समीक्षा की मांग अमेरिका से कर सकता है।
फिलहाल, भारतीय उद्योगों को यह तय करना होगा कि वे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में किस तरह संतुलन बैठा पाते हैं, ताकि इस आर्थिक झटके से उबर सकें।

Avneesh Mishra is a young and energetic journalist. He keeps a keen eye on sports, politics and foreign affairs. Avneesh has done Post Graduate Diploma in TV Journalism.