गढ़वा में खत्म होगी बालू की किल्लत: 18 बालू घाटों की नीलामी की प्रक्रिया शुरू, अब निजी हाथों में होगा संचालन

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Digital News Desk: गढ़वा जिले में वर्षों से चली आ रही बालू संकट की समस्या अब जल्द खत्म होने की उम्मीद है। राज्य सरकार के निर्देश पर 18 बालू घाटों को निजी हाथों में सौंपने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। जिला खनन विभाग ने नीलामी की दिशा में काम शुरू कर दिया है और जल्द ही ई-टेंडर के माध्यम से घाटों की बोली लगाई जाएगी। यह निर्णय स्थानीय निवासियों को राहत देने और अवैध खनन पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से लिया गया है।
जेएसएमडीसी की विफलता बनी नीलामी की वजह
अब तक जिले के बालू घाटों की जिम्मेदारी झारखंड राज्य खनिज विकास निगम (JSMDC) के पास थी। लेकिन वर्षों की कोशिशों के बावजूद JSMDC केवल 1-2 बालू घाटों का ही संचालन कर सका, जबकि बाकी घाट या तो बंद रहे या उन पर अवैध खनन चलता रहा।

इस विफलता के कारण:
बालू की भारी किल्लत झेलनी पड़ी।
महंगे दामों में बालू खरीदने को लोग मजबूर हुए।
अवैध कारोबार को मिला बढ़ावा।
अब निजी कंपनियों या व्यक्तियों को घाटों की जिम्मेदारी देने से यह तस्वीर बदल सकती है।
कैटेगरी-2 के 18 घाटों की होगी बंदोबस्ती
गढ़वा जिले में जिन बालू घाटों की नीलामी की जा रही है वे सभी कैटेगरी-2 में आते हैं। इनमें सोन नदी और नार्थ कोयल नदी से जुड़े घाट भी शामिल हैं। नीलामी के बाद निजी संस्थाएं इन घाटों का संचालन करेंगी और स्थानीय लोगों को उचित दरों पर बालू उपलब्ध कराएंगी।
प्रमुख घाटों के नाम:
गाड़ा, सुंडीपुर, बलियारी, डुमरसोता, भवनाथपुर, केतार, मेरौनी, हरिहरपुर, मुनमुन, चंदी, पिपरा, चंदना, जयनगरा, कोरगांई, मोरबे, आमर, अटौला, दरमी आदि।
नीलामी प्रक्रिया कैसे होगी?
जिला खनन विभाग के अनुसार:
- सबसे पहले जिला स्तरीय टास्क फोर्स की बैठक होगी जिसमें घाटों की स्थिति और प्रक्रिया पर चर्चा की जाएगी।
- इसके बाद ई-टेंडर आमंत्रित किए जाएंगे।
- इच्छुक निजी संस्थाएं या व्यक्ति ऑनलाइन निविदा प्रक्रिया में भाग लेकर घाटों को हासिल कर सकेंगे।
क्या होगा फायदा?
इस पूरी कवायद से जिले को कई फायदे होंगे:
स्थानीय लोगों को सुलभ और सस्ता बालू मिलेगा।
अवैध खनन पर रोक लगेगी।
राजस्व में वृद्धि होगी।
परियोजनाओं में रफ्तार आएगी क्योंकि बालू की आपूर्ति अब बाधित नहीं होगी।
संकट का समाधान निजी भागीदारी से संभव
गढ़वा जिले के लोगों को वर्षों से बालू के लिए संघर्ष करना पड़ता रहा है। JSMDC की विफलता के बाद अब नीजी हाथों में संचालन की नीति अपनाई गई है, जिससे न सिर्फ पारदर्शिता आएगी बल्कि लोगों को राहत भी मिलेगी। यदि यह प्रयोग सफल होता है, तो यह मॉडल अन्य जिलों के लिए भी रोल मॉडल बन सकता है।

Avneesh Mishra is a young and energetic journalist. He keeps a keen eye on sports, politics and foreign affairs. Avneesh has done Post Graduate Diploma in TV Journalism.