फर्रुखाबाद के किसानों ने बदली खेती की तस्वीर — ‘ढकाऊ पद्धति’ और लीची की खेती से हो रही लाखों की कमाई

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Central News Desk: जिले के किसानों ने परंपरागत खेती से आगे बढ़ते हुए अब नई तकनीकों को अपनाना शुरू कर दिया है। इनमें सबसे प्रमुख है ‘ढकाऊ पद्धति’, जिसके माध्यम से किसान सब्जियों की खेती में बेहतर उत्पादन और अधिक मुनाफा कमा रहे हैं। इसके साथ ही लीची की खेती ने भी किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करना शुरू कर दिया है। अब ये किसान कम लागत में लाखों की कमाई कर रहे हैं और खेती को आत्मनिर्भरता का साधन बना रहे हैं।


क्या है ‘ढकाऊ पद्धति’?

‘ढकाऊ पद्धति’ एक नई कृषि तकनीक है, जिसमें फसल को प्लास्टिक की सहायता से ढका जाता है।
किसानों के अनुसार: सबसे पहले खेत को समतल किया जाता है। फिर हर दो मीटर पर क्यारियां बनाई जाती हैं। इसके बाद पॉलीथिन की सहायता से तंबू जैसी संरचना तैयार की जाती है, जिसके नीचे बीज बोए जाते हैं।

इस तकनीक से फसल को न सिर्फ कीटों और रोगों से बचाव मिलता है, बल्कि कम सिंचाई में भी अच्छा अंकुरण होता है। साथ ही मौसम के प्रभाव से भी पौधे सुरक्षित रहते हैं। सबसे बड़ी बात, फसल समय से पहले तैयार होकर मंडी में पहुंच जाती है।


50 से 80 किलो तक उत्पादन

एक किसान ने बताया कि उन्होंने यह तकनीक एक यात्रा के दौरान सीखी थी और अब इसका सफल प्रयोग कर रहे हैं।
उनके अनुसार, आलू बुखारा के एक पौधे से 50 से 80 किलो तक उत्पादन मिल रहा है, जिससे उन्हें भारी मुनाफा हो रहा है।


खेती का बदला तरीका

नमीदार भूमि का चयन किया जाता है। खेत को समतल कर जैविक खाद मिलाई जाती है। क्यारियां बनाकर बीज बोए जाते हैं। नियमित सिंचाई और देखरेख से फसल अच्छी तरह तैयार होती है। तैयार फसल को स्थानीय मंडियों में बेचा जाता है।


लीची की खेती बनी किसानों की कमाई का नया जरिया

फर्रुखाबाद के किसान अब लीची की खेती की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं। किसान बताते हैं कि: एक लीची बागान तैयार करने में लगभग ₹8000 की लागत आती है।mबागान 6 साल में तैयार हो जाता है। इसके बाद हर साल किसान लाखों रुपये की आमदनी करने लगते हैं। बाजार में लीची की मांग लगातार बनी रहती है, जिससे इसकी बिक्री में कभी कमी नहीं आती।


स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है लीची

कमालगंज सीएचसी के डॉक्टर विकास पटेल के अनुसार,

“लीची में भरपूर पोषक तत्व होते हैं। यह शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाने के साथ-साथ गर्मी में ठंडक भी देती है। सीमित समय में इसका सेवन स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी होता है।”

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