सीएसजेएमयू ने तुर्किए के इस्तांबुल विश्वविद्यालय से तोड़ा शैक्षणिक समझौता, राष्ट्रीय हित को बताया सर्वोपरि

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Central News Desk: छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय (सीएसजेएमयू), कानपुर ने तुर्किए के इस्तांबुल विश्वविद्यालय के साथ किया गया शैक्षणिक समझौता रद्द कर दिया है। यह निर्णय देश में बने मौजूदा माहौल और सुरक्षा कारणों के मद्देनज़र लिया गया है।

गौरतलब है कि हाल ही में ‘ऑपरेशन सिंधु’ के बाद पाकिस्तान के समर्थन में खड़े तुर्किए की भूमिका पर सवाल उठे हैं। इसी को देखते हुए सीएसजेएमयू प्रशासन ने यह कड़ा कदम उठाया है। विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि तुर्किए एक शत्रु देश का साथ दे रहा है और ऐसे में उसके साथ किसी भी प्रकार का शैक्षणिक सहयोग देशहित के खिलाफ है।

यह शैक्षणिक समझौता बीते वर्ष 15 नवंबर 2024 को सीएसजेएमयू और इस्तांबुल विश्वविद्यालय के बीच हुआ था। इस समझौते पर सीएसजेएमयू के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक और इस्तांबुल विश्वविद्यालय के रेक्टर प्रो. जुल्कुफ कार ने हस्ताक्षर किए थे। समझौते के अंतर्गत दोनों विश्वविद्यालयों के छात्र और शिक्षक उच्च शिक्षा, शोध एवं अकादमिक विकास के क्षेत्र में सहयोग करने वाले थे।

समझौता इस्तांबुल विश्वविद्यालय के रेक्टर कार्यालय में हुआ था और इसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर शिक्षा व अनुसंधान को बढ़ावा देना था। मगर हालात बदलने के कारण सीएसजेएमयू ने इस एमओयू को तोड़ने का निर्णय लिया और इसकी आधिकारिक सूचना तुर्किए के विश्वविद्यालय को भेज दी गई।

सीएसजेएमयू के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक ने स्पष्ट रूप से कहा कि कोई भी शैक्षणिक समझौता देश की गरिमा और सम्मान से बड़ा नहीं हो सकता। विश्वविद्यालय ने यह निर्णय भारतीय विश्वविद्यालय संघ के अध्यक्ष के रूप में कुलपति के नेतृत्व में लिया है।
यह कदम न केवल राष्ट्रहित में उठाया गया है, बल्कि यह पूरे शैक्षणिक जगत को यह संदेश भी देता है कि शिक्षा और देशभक्ति एक-दूसरे से अलग नहीं हैं।

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