चिराग पासवान की राजनीति: एनडीए की रणनीति या खुद की महत्वाकांक्षा?

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Bihar News Desk: बिहार की राजनीति में चिराग पासवान का रुख एक बार फिर चर्चा में है। उन्होंने प्रशांत किशोर की ‘जातिविहीन समाज’ की विचारधारा को अपनी सोच से जोड़ते हुए खुलकर तारीफ की। इस बयान ने सियासी हलकों में हलचल मचा दी है। लोग यह सवाल कर रहे हैं कि क्या चिराग भविष्य में जन सुराज पार्टी के साथ किसी गठबंधन की ओर बढ़ रहे हैं? हालांकि, चिराग बार-बार यह साफ कर चुके हैं कि वे एनडीए के साथ हैं और 2020 जैसी बगावत नहीं करेंगे।

चिराग पासवान की रणनीति क्या है?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चिराग की यह चाल बीजेपी की योजनाबद्ध रणनीति का हिस्सा हो सकती है। नीतीश कुमार के खिलाफ नाराजगी पैदा कर उन्हें कमजोर करने की कोशिश की जा रही है, ताकि तेजस्वी यादव की बढ़ती लोकप्रियता को रोका जा सके। चिराग की ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ छवि और दलित-पासवान वोट बैंक (लगभग 6%) पर पकड़ उन्हें युवा मतदाताओं के बीच आकर्षक विकल्प बनाती है।
कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि चिराग अपनी मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा को साध रहे हैं। हालिया सर्वे में उनकी लोकप्रियता 10.6% रही, जो नीतीश कुमार (18.4%) और तेजस्वी यादव (36.9%) से कम लेकिन प्रशांत किशोर (16.4%) से ज्यादा है।

एनडीए और बिहार की राजनीति पर असर
चिराग पासवान की बयानबाजी एनडीए को मजबूत करने के साथ-साथ जदयू पर दबाव बना रही है। नीतीश कुमार की ‘सुशासन’ छवि पर उनके हमले बीजेपी को फायदा दिला सकते हैं। वहीं, तेजस्वी यादव पर हमले महागठबंधन के वोट बैंक में सेंध लगा सकते हैं। हालांकि, अगर यह रणनीति उलटी पड़ती है तो एनडीए में 2020 जैसी दरार पड़ सकती है।

नीतीश सरकार को क्यों निशाना बना रहे चिराग?
चिराग पासवान, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री होने के बावजूद नीतीश सरकार पर लगातार तीखे हमले कर रहे हैं। गया में महिला अभ्यर्थी के साथ दुष्कर्म मामले पर उन्होंने बिहार पुलिस को ‘निकम्मा’ कहा और नीतीश कुमार की सुशासन छवि को खुली चुनौती दी।
इसके अलावा, पटना में गोपाल खेमका हत्याकांड और नालंदा में युवकों की हत्या जैसे मामलों पर भी उन्होंने सरकार को घेरा। उनका यह दोहरा रुख – एक ओर नीतीश के नेतृत्व में 2025 चुनाव जीतने का दावा और दूसरी ओर सरकार की आलोचना – एनडीए के भीतर असंतोष की स्थिति दिखाता है।

जदयू का डर और प्रतिक्रिया
चिराग के हमलों से जदयू सतर्क है। जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा, “अति सर्वत्र वर्जयेत्” यानी किसी भी अति से बचना चाहिए। उन्होंने चिराग को ‘वोटकटवा’ की भूमिका निभाने वाला करार दिया।
2020 विधानसभा चुनाव में चिराग की पार्टी ने 134 सीटों पर उम्मीदवार उतारकर जदयू को बड़ा नुकसान पहुंचाया था। यही कारण है कि आज भी जदयू चिराग की रणनीति को लेकर चौकस है।

भविष्य की राह अस्पष्ट
चिराग पासवान की युवा अपील और आक्रामक छवि उन्हें बिहार की राजनीति का महत्वपूर्ण चेहरा बना रही है। लेकिन सवाल यह है कि क्या वे बीजेपी की रणनीति का हिस्सा बनकर खेल रहे हैं, या फिर अपने दम पर मुख्यमंत्री बनने की राह तैयार कर रहे हैं? फिलहाल, उनकी असली मंशा एक पहेली बनी हुई है, लेकिन इतना तय है कि आने वाले चुनावों में चिराग पासवान बिहार की राजनीति में बड़ा रोल निभाने वाले हैं।

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