बिहार NDA में उबाल: नीतीश की बैठक में भाजपा विधायकों ने खोला मोर्चा, घटक दलों के बीच बढ़ा तनाव

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Bihar News Desk: बिहार की राजनीति में एनडीए की एकजुटता पर एक बार फिर सवाल उठने लगे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में रविवार को हुई जदयू विधायक दल की बैठक के बाद जैसे ही एनडीए की साझा बैठक हुई, वहां घटक दलों के बीच मतभेद खुलकर सामने आ गए। खासकर बीजेपी और जेडीयू के नेताओं के बीच जिस तरह तीखी बहस और आरोप-प्रत्यारोप हुए, उससे यह स्पष्ट हो गया है कि आगामी विधानसभा चुनाव से पहले गठबंधन के भीतर सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है।

विजय सिन्हा का तीखा सवाल: “क्या हम अपने ही राज्य में मेहमान हैं?”

बैठक की शुरुआत में ही बीजेपी विधायक विजय कुमार सिन्हा ने जेडीयू पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया। उन्होंने कहा कि जब भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जुड़े किसी कार्यक्रम में जेडीयू को बुलाया जाता है, तो वह पूरे सम्मान के साथ जाती है। लेकिन जब जेडीयू का कोई कार्यक्रम होता है, तो बीजेपी के स्थानीय विधायकों को आमंत्रित नहीं किया जाता। उन्होंने तंज कसते हुए पूछा, “क्या हम अपने ही निर्वाचन क्षेत्र में मेहमान हैं?”
उनका इशारा साफ तौर पर हाल ही में आयोजित कुछ सरकारी कार्यक्रमों की ओर था, जहां जेडीयू नेताओं ने बीजेपी विधायकों को दरकिनार कर दिया।

प्रोजेक्ट टेंडरिंग पर भिड़े अमन हजारी और प्रह्लाद यादव

इस बैठक में एक और बड़ा विवाद तब सामने आया, जब पश्चिम चंपारण से बीजेपी विधायक अमन भूषण हजारी ने आरोप लगाया कि एक सरकारी परियोजना में जेडीयू विधायक प्रह्लाद यादव के हस्तक्षेप से टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी हुई है। उन्होंने कहा कि एक ग्लोबल टेंडर को स्थानीय ठेकेदारों के लिए खोला गया था, लेकिन यादव ने दबाव बनाकर अपनी पसंद का ठेकेदार चुना। प्रह्लाद यादव ने इस आरोप को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि उन्होंने केवल प्रक्रिया में पारदर्शिता की मांग की थी। लेकिन इस मुद्दे पर बैठक में गर्म बहस हुई और माहौल तनावपूर्ण हो गया।

नीतीश कुमार और विजय सिन्हा की पुरानी रंजिश फिर उभरी

बिहार की राजनीति में यह कोई नई बात नहीं है कि विजय सिन्हा और नीतीश कुमार के बीच लंबे समय से खटास है। विधानसभा अध्यक्ष रहते हुए भी विजय सिन्हा को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नीतियों पर तीखे हमलों के लिए जाना जाता रहा है। बाद में जब जेडीयू ने उन्हें हटाने की रणनीति अपनाई, तो इसे सत्ता संघर्ष का हिस्सा माना गया। अब एक बार फिर ये दोनों नेता आमने-सामने हैं, जिससे गठबंधन में दरार और गहरी होती दिख रही है।

तेजस्वी यादव ने उठाए सवाल, कहा – ‘1000 करोड़ वसूली योजना’

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने इस घटनाक्रम पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि अब जेडीयू सरकार “1000 करोड़ की वसूली योजना” चला रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि एनडीए की आपसी खींचतान का खामियाजा बिहार की जनता को भुगतना पड़ रहा है और सत्ता के दलाल फायदा उठा रहे हैं। तेजस्वी ने यह भी कहा कि यह सरकार अब जमीनी मुद्दों से भटक चुकी है और केवल कुर्सी की जोड़-तोड़ में लगी है।

क्या 2025 विधानसभा चुनाव से पहले टूटेगा गठबंधन?

बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव की आहट सुनाई देने लगी है। ऐसे में एनडीए के भीतर इस तरह का असंतोष गठबंधन की नींव को कमजोर कर सकता है। जेडीयू और बीजेपी के बीच लंबे समय से भरोसे की कमी, निर्णयों में तालमेल की कमी और परस्पर संदेह गठबंधन को कमजोर कर रहे हैं। सवाल यह है कि क्या नीतीश कुमार इस बार भी ‘पलटी मार’ कर कोई नया समीकरण खड़ा करेंगे? या बीजेपी अंततः खुद को ‘सहयोगी’ नहीं, अगुवा दल के रूप में स्थापित करने की कोशिश करेगी?

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