AI के चक्कर में इंसान हो रहा कमजोर दिमाग और सुस्त सोच वाला: रिसर्च में बड़ा खुलासा

Central News Desk: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) ने इंसानी जीवन को जितना आसान बनाया है, अब उतना ही खतरनाक भी साबित हो रहा है। एक ताजा रिसर्च में खुलासा हुआ है कि जेनरेटिव AI टूल्स जैसे ChatGPT और Google Gemini इंसानों को आलसी और सोचने की क्षमता से दूर कर रहे हैं। माइक्रोसॉफ्ट और कार्नेगी मेलन यूनिवर्सिटी की इस रिसर्च में बताया गया कि AI की अधिक निर्भरता हमारे दिमागी विकास को धीमा कर रही है।
AI बना रहा है ‘बिना सोचने वाला यूज़र’
रिसर्च में पाया गया कि जब लोग AI टूल्स का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल करते हैं, तो वे खुद से कम सोचते हैं और केवल एआई के जवाबों को अपनाने लगते हैं। इससे उनकी निर्णय लेने की क्षमता और विश्लेषण करने की आदत कमजोर हो जाती है।

319 लोगों पर की गई स्टडी
इस अध्ययन में 319 लोगों को शामिल किया गया, जो हफ्ते में कम से कम एक बार AI का उपयोग करते थे। उनसे पूछा गया कि वे AI को किस काम में इस्तेमाल करते हैं—जैसे ईमेल लिखना, रिसर्च करना, या डेटा एनालिसिस आदि।
नतीजे चौंकाने वाले थे:
64% प्रतिभागी AI पर आंख मूंदकर भरोसा करते हैं।
36% लोग ही ऐसे थे जो AI की मदद के साथ खुद भी सोचते हैं।
रिसर्च के अनुसार, जो लोग पूरी तरह AI पर निर्भर होते हैं, उनमें क्रिटिकल थिंकिंग यानी समस्याओं को सुलझाने की क्षमता धीरे-धीरे कम होने लगती है। साथ ही, वो खुद से सोचना और निर्णय लेना भी भूलने लगते हैं।
तकनीक पर भरोसा करें, लेकिन संतुलन जरूरी है
विशेषज्ञों का कहना है कि AI एक मददगार टूल है, लेकिन अगर इंसान हर छोटी-बड़ी सोच भी AI पर छोड़ देगा, तो वह अपनी दिमागी ताकत खो देगा। इसलिए ज़रूरी है कि हम तकनीक का उपयोग सीमित और समझदारी से करें।

Avneesh Mishra is a young and energetic journalist. He keeps a keen eye on sports, politics and foreign affairs. Avneesh has done Post Graduate Diploma in TV Journalism.