सावधान! हर बुखार में न खाएं एंटीबायोटिक, शरीर को बना सकती है कमजोर

Bihar News Desk: बिहार के ग्रामीण इलाकों में बिना डॉक्टरी सलाह के एंटीबायोटिक दवाओं का बढ़ता चलन अब चिंता का विषय बनता जा रहा है। विशुनपुर गांव के अनुभवी ग्रामीण चिकित्सक कमलेश कुमार, जो बीते 25 वर्षों से चिकित्सा सेवा में जुटे हैं, ने ‘लोकल 18’ से बातचीत में बताया कि एंटीबायोटिक कोई सामान्य दवा नहीं, बल्कि विशेष रोगों के लिए सीमित परिस्थितियों में दी जाने वाली चिकित्सा पद्धति है।
उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में लोग वायरल बुखार, सर्दी-जुकाम या हल्के दर्द होने पर भी दवा दुकान से सीधे एंटीबायोटिक खरीद लेते हैं और उसका सेवन करने लगते हैं। ऐसा करना न केवल शरीर के अंदर मौजूद फायदेमंद जीवाणुओं को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि कई बार मामूली बीमारी को जटिल रोग में बदल देता है।
हर रोग में नहीं, खास मामलों में ही जरूरी है एंटीबायोटिक
कमलेश कुमार बताते हैं कि टाइफाइड, मलेरिया, टीबी, पाइल्स जैसे संक्रमण आधारित गंभीर रोगों में ही एंटीबायोटिक दवा दी जानी चाहिए और वह भी चिकित्सक की जांच और मरीज के वजन, आयु और स्थिति को देखकर। उन्होंने जोर देकर कहा, “वायरल फीवर या मौसम में बदलाव से हल्के शरीर दर्द में एंटीबायोटिक दवा लेना शरीर को अंदर से कमजोर बना देता है।”
साइड इफेक्ट्स: बेचैनी, थकान और दिमागी प्रभाव
कमलेश कुमार ने बताया कि कई बार एंटीबायोटिक दवा लेने के बाद मरीजों को बेचैनी, थकान या अजीब सा महसूस होने लगता है। इसका कारण यह होता है कि दवा शरीर में मौजूद जरूरी बैक्टीरिया को भी खत्म कर देती है। ऐसे में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और शरीर दूसरी बीमारियों की चपेट में आ जाता है।
एंटीबायोटिक प्रतिरोध बनता जा रहा गंभीर खतरा
उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे बड़ी समस्या यह है कि दवा दुकानों से बिना डॉक्टरी पर्ची के एंटीबायोटिक दवाएं आसानी से मिल जाती हैं। इससे लोग किसी भी हल्की बीमारी में इनका सेवन करने लगते हैं, जो आगे चलकर एंटीबायोटिक प्रतिरोध (Antibiotic Resistance) को जन्म देता है। यह एक ऐसी स्थिति होती है, जब बैक्टीरिया दवाओं के खिलाफ लड़ना सीख जाते हैं और फिर दवाएं असर नहीं करतीं। नतीजा यह होता है कि सामान्य संक्रमण का इलाज भी कठिन या असंभव हो जाता है।
सरकार और समाज को मिलकर चलानी होगी जागरूकता मुहिम
कमलेश कुमार ने प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग से अपील की कि ग्रामीण क्षेत्रों में एंटीबायोटिक दवाओं के बारे में जागरूकता फैलाई जाए। उन्होंने यह भी कहा कि मेडिकल दुकानों को सख्त निर्देश दिए जाएं कि बिना चिकित्सक की पर्ची के ऐसी दवाएं न दी जाएं।

Avneesh Mishra is a young and energetic journalist. He keeps a keen eye on sports, politics and foreign affairs. Avneesh has done Post Graduate Diploma in TV Journalism.